महिलाओं को नाइट शिफ्ट की आजादी, जानें नए लेबर कानून में क्या-क्या हुए बदलाव?

Delhi: भारत सरकार ने शुक्रवार को देश के श्रमिकों के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए चार श्रम संहिताओं को लागू करने की घोषणा की है. यह निर्णय नवंबर से चार नए लेबर कोड पूरे देश में लागू हो गए हैं और इसका मुख्य उद्देश्य श्रम कानूनों को सरल बनाना, श्रमिकों को बेहतर वेतन, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है.

पुरानी व्यवस्थाओं से हटकर आधुनिक वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप

इन चार संहिताओं में ‘ कोड ऑन वेजेज 2019’, ‘इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020’, ‘कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020’ और ‘ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020’ शामिल हैं. यह कदम 29 मौजूदा श्रम कानूनों को सुव्यवस्थित करेगा और औपनिवेशिक काल की पुरानी व्यवस्थाओं से हटकर आधुनिक वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप होगा. इस नए लेबर कोड के कारण लोगों के सैलरी स्ट्रक्चर में भी बदलाव होगा.

1. आधुनिक जरूरतों के अनुसार नए प्रावधान

देश में लागू कई श्रम कानून 1930–1950 के बीच बनाए गए थे, जिनमें गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और प्रवासी श्रमिक जैसी आधुनिक कार्यशैली का उल्लेख तक नहीं था. नए लेबर कोड इन सभी को कानूनी सुरक्षा देते हैं.

2. नियुक्ति पत्र अनिवार्य, समय पर वेतन की गारंटी

अब हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना होगा. न्यूनतम वेतन देशभर में लागू होगा और समय पर वेतन देना कानूनी बाध्यता होगी. इससे रोजगार में पारदर्शिता और कर्मचारी सुरक्षा बढ़ेगी.

3. कर्मचारियों के लिए फ्री हेल्थ चेकअप

40 वर्ष से अधिक उम्र वाले कर्मचारियों को साल में एक बार मुफ्त स्वास्थ्य जांच दी जाएगी. खनन, केमिकल और कंस्ट्रक्शन जैसे खतरनाक कार्य क्षेत्रों में काम करने वालों को पूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा मिलेगी.

4. सिर्फ 1 साल की नौकरी पर ग्रेच्युटी

पहले 5 साल नौकरी के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी अब सिर्फ एक साल की स्थाई नौकरी के बाद मिलेगी. यह प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए बड़ा फायदा है.

5. कामकाजी महिलाओं के लिए नई सुविधाएं

महिलाएं अब सहमति और सुरक्षा प्रबंधों के साथ नाइट शिफ्ट में काम कर सकती हैं. समान वेतन और सुरक्षित कार्यस्थल की गारंटी भी नए कोड में शामिल है. ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को भी समान अधिकार मिले हैं.

6. गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार कानूनी मान्यता

ओला–उबर ड्राइवर, जोमैटो–स्विगी डिलीवरी पार्टनर, ऐप-बेस्ड वर्कर्स अब सामाजिक सुरक्षा लाभ पाएंगे. एग्रीगेटर्स को अपने टर्नओवर का 1–2% योगदान देना होगा. UAN लिंक होने से राज्य बदलने पर भी लाभ जारी रहेगा.

7. ओवरटाइम का दुगना वेतन

कर्मचारियों को अब ओवरटाइम का भुगतान डबल रेट पर मिलेगा. इससे ओवरटाइम भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी.

8. कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को स्थाई कर्मचारियों जैसी सुरक्षा

अब कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को भी न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और काम की गारंटी मिलेगी. प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के कामगार भी सुरक्षा ढांचे में शामिल होंगे.

9. उद्योगों के लिए कम्प्लायंस आसान

सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न सिस्टम लागू होगा. इससे कंपनियों का अनुपालन बोझ कम होगा और उद्योगों को लालफीताशाही से राहत मिलेगी.

10. श्रमिक–कंपनी विवादों का नया समाधान मॉडल

अब इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर प्रणाली लागू होगी, जहां अधिकारी दंडात्मक कार्रवाई की बजाय मार्गदर्शन पर फोकस करेंगे. दो-सदस्यीय ट्राइब्यूनल बनाए जाएंगे ताकि कर्मचारी सीधे शिकायत दर्ज करा सकें.

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