Durga Saptashati: आप भी इस नवरात्रि‍ कर रहे हैं दुर्गा सप्तशती का पाठ, तो इन नियमों का रखें ध्‍यान

Durga Saptashati: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल दिन मंगलवार से हो रही है. बता दें कि साल में चार नवरात्रि होती है लेकिन चैत्र नवरात्रि का विशेष ही महत्‍व होता है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. वहीं, बहुत से लोग नौवों दिन उपवास रखते है. कहा जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा के पूजा के समय दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ करना बहुत ही फलदायी होता है. जो लोग भी दुर्गा सप्‍तशती का पाट करते है उनके जीवन की की सारी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं, साथ ही उन्‍हें मानसिक रूप से शांति मिलती है.

आपको बता दें कि दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) में कुल 13 अध्याय होते हैं, जिन्हें नवरात्रि के नौ दिनों में ही समाप्त किया जाता है. वहीं, दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ करते समय कुछ नियम का भी पालन किया जाता है. मान्‍यता है कि इन नियमों का पालन नहीं करने से मां दुर्गा नाराज हो जाती है और जातक को इसका कोई फल नहीं मिलता है. ऐसे में चलिए जानते है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

Durga Saptashati: दुर्गा सप्तशती पाठ करने के नियम

सनातन धर्म के अनुसार, कभी भी किसी भी धार्मिक पुस्तक को हाथ को हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए. पवित्र पुस्‍तक को व्यासपीठ पर रखकर ही पढ़ना चाहिए. ऐसे में यदि आप भी इस नवरात्रि दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहते हैं तो व्यासपीठ पर रखकर ही करें. लेकिन अगर आपके पास व्यासपीठ नहीं है तो हाथ पर लाल रंग का कपड़ा रखकर भी आप इस पाठ को कर सकते है.

इसके अलावा, य‍ह भी मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय बीच में नहीं रुकना चाहिए. बल्कि दुर्गा सप्तशती के सभी 13 अध्याय को एक साथ ही पढ़ना चाहिए. वहीं, ज्योतिषियों के अनुसार, दुर्गा सप्तशती का पाठ न तो अधिक तेज गति में करना चाहिए और न ही ज्यादा धीमी गति में.

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शुद्धिकरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा न करने से मां दुर्गा नाराज हो जाती हैं. इसके साथ ही पाठ का कोई भी फल नहीं मिलता है.

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