वाराणसी। बुजुर्ग मरीजों की देखभाल एवं उनके बेहतर उपचार के लिए बीएचयू के विशेषज्ञ प्रदेश के डाक्टरों को ट्रेनिंग देंगे। इसके लिए चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आइएमएस), बीएचयू के जिरियाट्रिक मेडिसिन विभाग को नोडल सेंटर बनाया गया है। यहां विशेषज्ञ अगले माह से एक-एक हजार का बैच बनाकर चिकित्सकों को प्रशिक्षण देंगे। इसकी सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जिरियाट्रिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. शंख शुभ्र चक्रवर्ती बताते हैं कि प्रदेश सरकार की ओर से सभी जिलों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना की जा रही है। इसी कड़ी में यह ट्रेनिंग भी शामिल है। कोर एरिया आयुष्मान योजना के तहत एल्डलरी एंड पालिएटिव केयर का बीएचयू को नोडल सेंटर बनाया गया है। पहले बचै में एन एमडी डाक्टरों को ट्रेनिंग दी गई जो जिला मुख्यालय पर तैनात है। आगे चलकर दो हजार डाक्टरों को ट्रेनिंग दी जानी है। जल्द ही इसके लिए शेड्यूल भी जारी हो जाएगा। दरअसल, बुजुर्गों के मामले में चिकित्सा समन्वित विशेषज्ञता मांगती है। इस लिहाज से चिकित्सकों को दक्ष बनाया जाएगा। उद्देश्य यह कि उन्हें चिकित्सा तो मिले ही मानसिक संबल भी दिया जा सके।बाढ़ व बरसात के बाद मौसमी बीमारियों ने पांव पसार लिए हैं। जिला अस्पताल कोविड हास्पिटल के रूप में रिजर्व होने के चलते बंद है और यहां के डाक्टरों से ड्यूटी के नाम पर केवल हस्ताक्षर बनाने का काम लिया जा रहा है। इसके चलते मंडलीय हास्पिटल पर मरीजों का दबाव कई गुना बढ़ गया है। पहले से ही फिजिशियन की कमी से जूझ रहा मंडलीय अस्पताल मरीजों के दबाव में हांफ रहा है। दरअसल, मंडलीय हास्पिटल में आठ फिजिशियन की तैनाती थी, जिनमें से तीन सेवानिवृत्त हो गए और दो का ट्रांसफर कर दिया गया। मरीजों का दबाव जहां दोगुना बढ़ गया है, वहीं जनरल फिजिशियन की उपलब्धता आधी से भी कम रह गई है। एक ओर हास्पिटल प्रबंधन की ओर से की जा रही डाक्टरों की मांग को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, वहीं जिला अस्पताल में कोविड के नाम पर डाक्टर केवल हाजिरी ही लगाने पहुंच रहे हैं। डाक्टरों को पूल करके या अस्थाई तौर पर मंडलीय हास्पिटल से अटैच करके न केवल इस कमी की भरपाई की जा सकती है, बल्कि उपलब्ध डाक्टरों का सदुपयोग किया जा सकता है।