गोरखपुर। पौराणिक मान्यतानुसार श्रावण मास का दूसरा सोमवार व्रत रखने से दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। दूसरा सोमवार आज है और शिवालयों में भगवान शिव के जलाभिषेक एवं पूजा के लिए काफी तादाद में श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। ग्रह और नक्षत्रों का सुखद संयोग इसे और भी खास बनाएगा। शहर के मंदिरों में आयोजन के मद्देेनजर विशेष तैयारियां की गई हैं।
वाराणसी से प्रकाशित हृषिकेश पंचांग के अनुसार, इस दिन ग्रह और नक्षत्रों का संयोग सुखद बन रहा है। इस दिन कृत्तिका के बाद रोहिणी नक्षत्र, वृद्धि योग, गर करण और सुस्थिर नामक औदायिक योग है। चंद्रमा उच्चाभिलाषी हैं। इस दिन के व्रत से स्थिर लक्ष्मी के साथ ही निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, रूद्राभिषेक का मानव जीवन में अहम स्थान है। रूद्राभिषेक से मन शुद्ध और सत्वगुणी होता है। इससे संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है। इसके साथ ही ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, श्रद्धा, भक्ति और पवित्रता में भी वृद्धि होती है। धन-लाभ और आरोग्यता की प्राप्त होती है। बताया कि धर्मशास्त्र में कहा गया है कि वेद शिव हैं और शिव वेद हैं। इसलिए वेद मंत्रों द्वारा भगवान आशुतोष का पूजन अभिषेक किया जाता है। जैसे ब्रह्म सभी पदार्थों में व्याप्त हैं। वैसे ही भगवान रूद्र (शिव) अग्नि, जल, औषधि, वनस्पति आदि सभी पदार्थों में समाहित हैं। समस्त ब्रह्मांड को वह अपनी शक्ति से सामर्थ्यवान बनाते हैं। इसलिए उनका नाम रूद्र पड़ा है। श्वेताश्वरोपनिषद् में कहा गया है कि ‘एको हि रूद्रो न द्वितीयाथ तस्थु:’ अर्थात ब्रह्मांड में केवल एक रूद्र की ही सत्ता है, किसी दूसरे की नहीं।