वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा देश का सर्वाधिक प्राचीन विश्वविद्यालय आने वाले समय में सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों के शोध का नोडल केंद्र बनेगा। इसके लिए प्रयास किए जाएंगे। शनिवार को कुलपति कार्यालय में पदभार ग्रहण करने के बाद प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि पांडुलिपियों में दर्ज प्राच्य विद्या का दुर्लभ ज्ञान हर किसी के लिए सुलभ कराने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी को डिजिटल बनाने और पांडुलिपियों का प्रकाशन कराने के लिए कदम उठाए जाएंगे। प्रबंध शास्त्र और पीएम स्वच्छता मिशन पर आधारित रोजगारक परक पाठ्यक्रम शुरू करने पर भी विचार किया जाएगा। भागवत गीता को आधार बनाकर प्राचीन प्रबंध शास्त्र की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए लखनऊ विश्वविद्यालय से समझौता किया जाएगा। प्राचीन शास्त्रों में प्रबंध और सफाई का विस्तृत ज्ञान भंडार है। इस ज्ञान को अब आम जन तक पहुंचाने का समय है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार के साथ ही विश्वविद्यालय में शिक्षण का स्तर ऊंचा उठाना और छात्र हितों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता होगी। नई शिक्षा नीति में भारतीय परंपरा को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाएगा। शनिवार को कुलपति ने कार्यवाहक कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय से पदभार ग्रहण किया। इसके पूर्व उन्होंने बाबा कालभैरव, बाबा विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा, मां वाग्देवी का विधि विधान से दर्शन पूजन किया।