गोरखपुर। जिस वनटांगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहचान दिलाई थी, अब उस गांव को राष्ट्रीय फलक पर पहचान मिलने जा रही है। इस गांव के रामगणेश स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय समारोह में बतौर विशेष अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में लाल किले पर अपने वनटांगिया समुदाय की नुमाइंदगी करने जा रहे हैं। लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में पूरे उत्तर प्रदेश से कुल 10 लोगों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है। वनटांगिया रामगणेश को साथ लेकर तहसीलदार चौरीचौरा शुक्रवार यानी आज रवाना होंगे। सौ सालों तक उपेक्षित रहे वनटांगियों को भारतीय गणतंत्र के नागरिक के रूप में सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहचान दिलाई। ब्रिटिश हुकूमत में 1918 के आसपास साखू के जंगलों को लगाने वाले इन लोगों की पहचान आजाद भारत में भी राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं थी। 2017 में योगी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें अधिकार दिलाया। उन्हें समाज और विकास की मुख्यधारा से जोड़ा। जंगल में बसी वनटांगिया बस्तियों में शहर सरीखी सुविधाओं की सौगात दी। यही वजह है कि वनटांगिया समुदाय के लोग योगी को अपना मसीहा मानते हैं। वनटांगिया गांवों में सीएम योगी की पहचान बाबाजी, महाराजजी के रूप में तो ही है, बच्चों के लिए वह टॉफी वाले बाबा हैं। समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित होने की सूचना मिलते ही वनटांगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन के रामगणेश की खुशी का ठिकाना नहीं है। इसके लिए वह बार-बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताते हैं। कहते हैं कि उन्होंने तो हम लोगों को जंगली से इंसान बना दिया। रामगणेश का कहना है कि 100 साल तक बीच जंगल में उपेक्षित रहे वनग्रामों के निवासियों को समाज व विकास की मुख्यधारा में लाने का श्रेय सीएम को ही है। वनटांगिया समुदाय के लोगों के प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उनके संसदीय कार्यकाल से ही विशेष लगाव रहा है। बतौर सांसद उन्होंने वनटांगियों की बदहाली दूर करने के लिए निजी तौर पर शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की। वनटांगियों की शिक्षा के लिए अस्थायी स्कूल बनाने की कवायद में योगी मुकदमा तक झेल चुके हैं। सांसद के रूप में उनके बीच ही दिवाली मनाना शुरू किया जो उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जारी है।