अर्पण करने वाला मनुष्य कर्म बंधन से हो जाता है मुक्त: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि श्री शिव महापुराण कथा का द्वितीय दिवस-कथा स्थल-श्री मंशापूर्ण भूतेश्वर महादेव मंदिर टोंक। सानिध्य-श्री घनश्याम दास जी महाराज गोवर्धन-पुष्कर। दिनांक 25-2-2022 से 5-3- 2022 तक। कथा का समय-दोपहर 12:30 से 4:30 तक। कथा वक्ता-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मुरारी बापू। कथा का विषय-विद्येश्वर संहिता, बेलपत्र वृक्ष की उत्पत्ति एवं महिमा, रुद्राक्ष, भस्म और शिव नाम की महिमा। सत्संग के अमृत बिंदु-ध्येय और लक्ष्य बिना निश्चय के चल दोगे तो बताओ कहां जाओगे? इस जीवन में क्या करना है? पहले ध्येय और लक्ष्य बना लो। जरा सोचो, इस विषय की ओर चलने वाले और जानने वाले अगर आप लोगों के बीच से नहीं मिलेंगे तो दुनियां में और कहां मिलेंगे? निमित्त मात्र भगवान् की तरफ से मनुष्य मात्र का यह अंतिम जन्म है। कारण- भगवान् का यह संकल्प है कि मेरे दिये हुये इस शरीर से यह अपना कल्याण कर सकता है। अतः यह अपना कोई संकल्प न रखकर केवल निमित्त मात्र बन जाये तो भगवान् के इस संकल्प से मनुष्य का कल्याण हो जाये। संसार की सेवा मनुष्य कर्म बंधन से तभी मुक्त हो सकता है, जब वह प्रभु से मिले शरीर, बुद्धि, वस्तु, योग्यता और सामर्थ्य को संसार की सेवा में लगा दे और बदले में कुछ भी न चाहे। अर्पण- वास्तविक अर्पण से भगवान् बहुत प्रसन्न होते हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि अर्पण करने से भगवान् को कोई सहायता मिलती है। परंतु अर्पण करने वाला कर्म बंधन से मुक्त हो जाता है और इसी में भगवान् की प्रसन्नता है। संपूर्ण कर्मों को भगवान् को अर्पण करने के बाद भी अपने में जो कामना, ममता, संताप प्रतीत होते हैं, उन्हें भी भगवान् को अर्पित कर दें। मौका- मेरा स्वरूप क्या है? इस तत्व को मात्र मनुष्य ही जान सकता है। मनुष्य जन्म के सिवाय और कोई जानने की जगह है ही नहीं। यह मौका मात्र मनुष्य शरीर में है, मनुष्य जन्म में है। अगर मनुष्य बनकर भी यह काम नहीं किया तो मनुष्य जीवन निरर्थक है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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