पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण के ग्यारहवें स्कंध में श्री उद्धव जी ने भगवान् श्रीकृष्ण से प्रश्न किया है, त्याग किसे कहते हैं? तब भगवान् श्रीकृष्ण ने उसका उत्तर दिया। श्रीकृष्ण- ‘ त्यागः संन्यास उच्यते। ‘ कामनाओं का त्याग ही सच्चा त्याग है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं- ‘काम्यानां कर्मणां न्यासः ‘ सकाम कर्मों का त्याग ही वास्तविक त्याग है। त्यागी वह नहीं जो अग्नि का स्पर्श नहीं करता।
प्रायः स्वयं को संन्यासी कहने वाले व्यक्ति अग्नि छूते नहीं, यह त्याग है परंतु वास्तविक और आध्यात्मिक त्याग कर्म फल की इच्छा का त्याग है अथवा इच्छाओं का समूल त्याग ही त्याग है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)