हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण माता-पिता गंवाने वाले निजी स्कूलों के बच्चों की फीस माफ होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू करने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय ने बुधवार को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और प्रिंसिपलों को लिखित निर्देश जारी किए हैं। मार्च 2020 के बाद से अभी तक प्रदेश में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले चार बच्चों ने माता-पिता दोनों और 280 बच्चों के एक अभिभावक की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि अगस्त में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को तुरंत प्रभाव से लागू करने के लिए जिला अधिकारियों को पत्र जारी कर दिए हैं। दो-तीन दिन के भीतर इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करवाते हुए निदेशालय को रिपोर्ट देने को भी कहा गया है। महिला एवं बाल विकास निदेशालय की ओर से शिक्षा विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से बीते दिनों अवगत करवाया गया है। महिला एवं बाल विकास निदेशालय की ओर से बताया गया है कि मार्च 2020 के बाद कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में 22 ऐसे विद्यार्थी चिंहित किए गए हैं, जिनके माता-पिता दोनों की मौत हुई है। इन 22 विद्यार्थियों में से चार विद्यार्थी निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। 736 विद्यार्थी ऐसे भी चिंहित किए गए हैं, जिनके एक अभिभावक की कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से मौत हुई है। इनमें से 280 विद्यार्थी निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। ऐसे विद्यार्थियों की इस शैक्षणिक सत्र की फीस को माफ करने को लेकर कोर्ट की ओर से आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा कितने विद्यार्थियों ने पढ़ाई बीच में छोड़ दी है। इन्हें दोबारा स्कूलों में लाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। इसकी जानकारी भी 25 सितंबर तक महिला एवं बाल विकास निदेशालय ने तलब की है। इस जानकारी को सुप्रीम कोर्ट से अवगत करवाया जाना है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा है कि वह इस बात को सुनिश्चित करें कि कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह से बाधित न हो। शीर्ष अदालत ने राज्यों के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और जिला शिक्षा अधिकारी से कहा है कि वह इस मामले में स्कूल प्रशासन से बातचीत करें और यह सुनिश्चित कराएं कि निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई मौजूदा साल में किसी भी तरह बाधित न हो।