नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में सत्र 2022-23 में लागू होने जा रहे चार साल के कोर्स में छात्रों को अधिकतम हिस्से की पढ़ाई यहीं से करनी होगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कोर्स का कितना हिस्सा डीयू और कितना बाहर से होगा, यह जल्द ही तय होगा। डीयू प्रशासन का मानना है कि जो भी छात्र दाखिला ले, वो यहीं से कोर्स की अधिकतम पढ़ाई करे। माना जा रहा है कि 90 फीसदी हिस्सा डीयू का हो सकता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कहा गया है कि कोर्स का 50 फीसदी तक हिस्सा बाहर से किया जा सकता है। ये यूनिवर्सिटी पर है कि वे कितना हिस्सा लागू करे। डीयू में चार वर्षीय स्नातक कोर्स बीते सप्ताह ही अकादमिक काउंसिल से पास हुआ है। अभी इसे 31 अगस्त को होने वाली कार्यकारी परिषद की बैठक में पास करने के लिए रखा जाना है। इस कोर्स में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट और अकांदमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) का प्रावधान भी है। इसके तहत छात्र कोर्स को एक साल का पूरा करने पर सर्टिफिकेट दो साल पर डिप्लोमा, तीन साल पर डिग्री और चार साल में डिग्री विद रिसर्च प्राप्त कर सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कोर्स का कुछ हिस्सा किसी अन्य यूनिवर्सिटी से भी किए जाने की बात है। रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता का कहना है कि यह हिस्सा कितना होगा, अभी तय नहीं हुआ है। क्योंकि इसे हमें तय करना है, लिहाजा इसे डीयू के विभाग तय करेंगे। हम डीयू की डिग्री के महत्व को कम नहीं करना चाहते। छात्रों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहते। डीयू का मानना है कि छात्र कोर्स के कम से कम हिस्से को किसी अन्य यूनिवर्सिटी से पूरा करें।