नई दिल्ली। शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड निवेशकों ने बाजार में जारी तेजी का जमकर लाभ उठाया है। उन्होंने नए-नए आईपीओ में निवेश कर पैसे बनाएं, तो कंपनियों ने भी लाभांश के रूप में जमकर भुगतान किया। आयकर विभाग इन दोनों तरह की कमाई पर टैक्स की गणना अलग तरीके से करता है। निवेश पोर्टल के सीओओ हर्ष जैन का कहना है कि आईपीओ सूचीबद्ध होने के बाद ही मुनाफे पर आयकर गणना होती है। सूचीबद्ध होने के 12 महीने के भीतर आईपीओ में आवंटित शेयरों को बेचकर मुनाफा कमाया है, तो लघु अवधि का पूंजीगत लाभ कर (एसटीसीजी टैक्स) देना होगा। यह कुल मुनाफे का 15 फीसदी होगा। इस पर 4 फ़ीसदी उपकर के रूप में टैक्स देना होगा। सूचीबद्ध होने के 12 महीने बाद आईपीओ के शेयरों को बेचकर मुनाफा कमाया है, तो लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर एलटीसीजी टैक्स देना पड़ेगा। जो 10 फ़ीसदी की दर से लगेगा। एक लाख से ज्यादा का मुनाफा कमाने पर ही एलटीसीजी टैक्स देना पड़ता है। अगर आपने 1,000 रुपये के भाव से आईपीओ में 14 शेयर खरीदे और 12 महीने के भीतर इसे 1,580 प्रति इकाई के भाव पर बेच दिया। इस पर 8,120 रुपये का एसटीसीजी मिलेगा और 15 फ़ीसदी की दर से टैक्स चुकाना होगा। कुल मुनाफे पर 1,218 रुपये टैक्स बनेगा। जिस पर 4 फ़ीसदी यानी 48.72 रुपये उपकर देना होगा और कुल टैक्स देनदारी करीब 1,270 रुपये होगी। अगर 12 महीने के बाद बेचा तो मुनाफे पर सीधे 10 फ़ीसदी टैक्स लगेगा। आईपीओ का चुनाव गलत हो गया है और सूचीबद्ध होने के बाद शेयरों के भाव नीचे चले गए, तो इस घाटे को अन्य शेयरों के मुनाफे के साथ समायोजित भी किया जा सकता है। मसलन, लघु अवधि में बेचे शेयरों पर घाटा हुआ तो इसी अवधि में यह 1 साल पहले बेचे अन्य शेयरों के मुनाफे को समायोजित कर टैक्स देनदारी से बचा जा सकता है। हालांकि आयकर विभाग लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर इसकी भरपाई की सुविधा नहीं देता है।