राजस्थान/पुष्कर। परम् पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि शिव महापुराण की कलश यात्रा, विधिवत पूजन, श्री शिव महापुराण कथा का गान शुभारम्भ-श्री शिव महापुराण समस्त पुराणों का तिलक है। ज्ञान,भक्ति,वैराग्य को बढ़ाने वाला है। कलियुग के दोषों को मिटाने वाला है। भवरोग की महाऔषधि है। श्री शिव महापुराण कथा के माहात्म्य में देवराज ब्राह्मण की कथा का वर्णन किया गया, जिस का उद्धार श्री शिव महापुराण की कथा सुनने से हुआ। बिंदुग और चंचुला की कथा का वर्णन किया गया, जिन्हें भगवान् शंकर का परिकर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और मृत्यु के उपरांत शिवलोक की प्राप्ति हुई। माहात्म्य के आखिरी अध्याय में शिव पुराण कथा सुनने की विधि का वर्णन किया गया। कथा के अमृत विन्दु-कर्म के दो प्रकार-कर्मों का करता बन कर्मफल से संबंध जोड़ने से ही जीव सुखी दुःखी होता है। यदि वह कर्म फल के साथ अपना संबंध न जोड़ें तो वह कर्मफल के संबंध से मुक्त रह सकता है। कर्म दो प्रकार से किये जाते हैं- कर्म फल की प्राप्ति के लिये और कर्म तथा उसके फल की आसक्ति मिटाने के लिये। सदैव प्रसन्न रहना एक मानसिक तपस्या है, इस तपस्या में सुख नहीं आनंद मिलता है। ‘ परमात्मा के स्वरुप का मनन करना भी एक तपस्या है। हर व्यक्ति को यह बात तो समझ में आ जाती है कि जो एकांत में रहता है और साधन भजन करता है, उसका कल्याण हो जाता है, परंतु यह बात समझ में नहीं आती कि जो सदा मशीन की तरह संसार में सबका काम करता है उसका कल्याण कैसे होगा? इसके उत्तर में भगवान् कहते हैं ‘मत्प्रसादात । जिसने मेरा आश्रय ले लिया है, उसका कल्याण मेरी कृपा से हो जायेगा, कौन है मना करने वाला? न कमाने वाले तो दिखते हैं, अध्यात्म कमाने वाले नहीं दिखते। सभी वस्तुएं महंगी हो गई हैं, लेकिन रुपया सस्ता हो गया है, इसी प्रकार भगवान् भी सस्ते और सुलभ हो गये हैं। लेकिन इस ओर तत्परता से समय लगाने वाले कम है। इस शरीर को पाकर भी उन्नति न कर सके तो फिर दूसरा शरीर नहीं मिलेगा, जिसमें आप अपनी पारमार्थिक उन्नति कर सकें। इसके विषय में गंभीरता से सभी सोचें और मनन करें। लगता है आप गहरे उतर कर सोचते नहीं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।