दूसरों के छिद्रों का कभी नहीं करना चाहिये अन्वेषण: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य एवं श्रेष्ठ व्यवस्था में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय समस्त भक्तों के स्नेह और सहयोग से श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा का भव्य आयोजन चल रहा है। दिनांक- 4-12-2021 से 10-12- 2021 तक। कथा का समय-दोपहर 12:15 से 4:15 बजे तक। कथा स्थल- वृंदा होटल बिजासण माता मंदिर के पास केकड़ी (अजमेर) श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा के वक्ता-राष्ट्रीय संत श्री-श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू। कथा का विषय- श्रीकृष्ण की बाललीला एवं गोवर्धन पूजा की कथा का गान किया गया और भक्तों ने गोवर्धन पूजा एवं छप्पन भोग का उत्सव महोत्सव मनाया गया। कल की कथा में श्रीकृष्ण- रुक्मणी के विवाह की कथा का गान किया जायेगा एवं भगवान का विवाह उत्सव मनाया जायेगा। श्रीमद् भागवत कथा के अमृत बिन्दु-जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि। आप भला तो जग भला। दूसरा तो दर्पण होता है। दूसरे को जब हम बुरा कहते हैं, तब वह आईना बन जाता है। इस आईने के अंदर हमें हमारा ही प्रतिबिंब देखने को मिलेगा। किसी को जब हम बुरा कहते हैं, तब सोचना चाहिए कि हम अपने प्रतिबिम्ब को तो देख नहीं रहे हैं न? इसमें हमारी बुराइयां ही प्रतिबिम्बित दिखाई देंती हैं। बुरा जो देखन मैं चला, बुरा मिला नहि कोई। अंतर खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोई। स्वदोष दर्शन करना चाहिए। दूसरों के छिद्रों का अन्वेषण कभी नहीं करना चाहिये। जीवन विकास की यह पहली शर्त है। भागवत की कथा दर्पण है। उसमें हमें अपने स्वदोष दर्शन होंगे। इस त्रुटि को दूर करने के प्रयत्न करेंगे तो निर्दोष बनेंगे, निर्मल बनेंगे और भगवान को प्रिय होंगे। कई लोग कहते हैं कि मेरा मन पूजा में नहीं लगता। माला में नहीं लगता। तो माला जप कर मैं क्या करूं? भाई! मन न लगे तो भी माला करो। भायं कुभायं अनख आलस हूं । नाम जपत मंगल दिसि दसहूं। तुलसी सीता राम को रीझ भजो के खीज। उलटा सुलटा बाबीए, ज्यूं खेतन में बीज। मन नहीं लगता तो भी करो तो आहिस्ता-आहिस्ता मन लग ही जायेगा। सेवा तीन प्रकार की होती है वित्तजा, तनुजा और मानसी। वित्तजाअर्थात् धन। धन को प्रभु कार्य में लगाना वित्तजा सेवा है। तन से ठाकुर की सेवा करना तनुजा सेवा और मन को प्रभु में लगाये रखना मानसी सेवा है। वैष्णव के लिये वित्तजा और तनुजा सेवा साधन है और मानसी सेवा साध्य है। संसार के मेले में ईश्वर जिनकी अंगुली थामेंगे वह कभी भटक नहीं सकता। सवाल यह है कि प्रभु हमारा हाथ पकड़े। ऐसी स्थिति यत्न साध्य नहीं है कृपा साध्य है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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