धनत्रयोदशी को भगवान धनवंतरी और लक्ष्मी-गणेश की होती है पूजा: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि आज धनतेरस के दिन धन्वंतरी भगवान का प्राकट्य हुआ था। जो आयुर्वेद के प्रवर्तक माने जाते हैं। उनका नाम लेने मात्र से रोग निवृत्त हुआ करते हैं। इसलिए धन त्रयोदशी के दिन उनका पूजन, लक्ष्मी-गणेश का पूजन ये सब कल्याणकारी होता है। समुद्र मंथन जब हुआ था तो समुद्र मंथन के समय चौदह रत्न निकले थे। जिसमें धन त्रयोदशी के दिन धन्वंतरी भगवान प्रकट हुए थे। वे आयुर्वेद के प्रवर्तक हुये। उनका आज के दिन पूजन, स्मरण कल्याणकारी होता है। धनत्रयोदशी से लेकर कार्तिक शुक्लपक्ष देवप्रबोधिनी एकादशी तक मंत्रों की जागृति के लिये बहुत जरूरी है। जितना अधिक भजन कर सकें, करना चाहिये। साल भर जपने से जो फल मिलता है वो इन दिनों में जप करने से प्राप्त हो जाया करता है। इसलिए समस्त प्रभु प्रेमियों को आज धनत्रयोदशी से लेकर एकादशी तक जितना बन सके भजन, पूजन, चिंतन करते रहना चाहिये। आज कुछ खरीदते हैं। आज के दिन धनवन्तरी जी अमृत का कलश लेकर प्रकट हुये थे। धनवंतरी से ही धनत्रयोदशी कहा गया है। जैसे वो अमृत का कलश लेकर निकले और देवताओं का हित हुआ है, वैसे ही इस पर्व को मनाने से हमारा आपका भी कल्याण होगा। धनत्रयोदशी को बर्तन खरीदने का भी महत्व है कोई न कोई नया बर्तन और भी बहुत चीजें हैं जो खरीदी जा सकती हैं। इससे लक्ष्मी की कृपा होती है, धन-धान्य की वृद्धि होती है। जो लोग धनत्रयोदशी को कुछ खरीदते हैं और धनवंतरी एवं लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं। वहां धन, सुख, समृद्धि, आरोग्य का निवास होता है और दुख, कष्ट, रोग, गरीबी दूर जाती है। धनत्रयोदशी का बड़ा महत्व है।
भगवान् धनवंतरी धनत्रयोदशी को कलश लेकर प्रकट हुये। आज ये कामना करनी है कि हमारे जीवन में अमृत आवे। अमृत नाम ईश्वर का है। वो अमृत था जिसे देवताओं ने पिया है। दूसरा अमृत है ईश्वर। जो हमारे अंदर प्रवेश कर जाये, इसलिए ये पर्व मनाया जाता है। सबको मिलकर इसका पालन करना चाहिये। अभी तक नहीं कर पाये, अब त्रयोदशी से शुरू कर दें पूर्णिमा तक, तब भी बहुत है। इसमें पंच भीखम भी होता है। पाँच दिन इसमें दीपक जलाया जाता है। एकादशी से पूर्णिमा तक इसका बहुत महत्व है। इसका पालन करना अच्छा होता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)