पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीसीतारामजी की सम्मिलित वंदना करके श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज श्री रामनाम की वंदना करते हैं। इस वंदना में भक्त कवि ने श्रीरामनाम के प्रति अपना हृदय स्पष्टकर दिया है। उनकी श्रीरामनाम भक्ति अपूर्व थी। यह बंदना विस्तार से है। नव दोहों में, इक्यानवे पंक्तियों में श्रीरामनाम की वंदना है। अनेक नामजापकों के, नाम भक्तों के, उनकी सिद्धियों के विशिष्ट वर्णन हैं। श्रीगणेशजी, शंकरजी, पार्वतीजी, महर्षि वाल्मीकि जी, श्रीसनकादिजी प्रह्लादजी, ध्रुवजी, श्रीहनुमानजी, अजामिल, गजेंद्र, गणिका आदि अनेक नामाराधकों के उदाहरण से इस प्रसंग को अलंकृत किया है।