पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री खेड़ा के बालाजी दरबार बोराड़ा की पावन भूमि पर श्रीराम कथा का पंचम दिवस-श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का नामकरण संस्कार,बाललीला, यज्ञोपवीत, गुरुकुल में विद्या अध्ययन, श्री विश्वामित्र महाराज के यज्ञ की रक्षा, अहिल्या उद्धार की कथा का गान किया गया। कल की कथा में श्री सीताराम विवाह की कथा का गान किया जायेगा। सत्संग के अमृत बिंदु-लक्ष्मी गौण लक्ष्मीनारायण मुख्य-स्वयं के हाथों सत्कर्म में प्रयुक्त होने वाला धन ही अपना है। पैसे के लिए प्रयत्न करो, पाप नहीं। जीवन में पैसा गौण है, परमात्मा मुख्य है। आप अधिक पाप करोगे तो भी अधिक पैसा मिलने वाला नहीं है। पाप का पैसा किसी को शांति नहीं देता। बहुत से लोग खूब पैसा कमाते हैं और भौतिक सुख भोगते हैं, किंतु उनमें आंतरिक शांति नहीं होती। पैसा कमाना सरल है, उसका सदुपयोग करना कठिन है। थोड़ा धन घर परिवार में खर्च हो और बाकी का प्रभु सेवा अर्थात् परमार्थ के काम में आए तो लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है। सदुपयोग के बिना संपत्ति अभिशाप बन जाती है। लक्ष्मी जीव भोग्य नहीं, ईश भोग्य है। धन साधन है। धन से हम धर्म भी कमा सकते हैं, धन से धन भी उपार्जित कर सकते हैं, धन से काम अर्थात अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूराकर सकते हैं, और धन से परमार्थ का कार्य करके हम मोक्ष भी प्राप्त कर सकते हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।