पार्थिव पूजा में नित्य आवाहन और विसर्जन का है नियम: दिव्य मोरारी बापू

राजस्‍थान/पुष्‍कर। परम पूज्‍य संत श्री दिव्‍य मोरारी बापू ने कहा, शौनकादि ऋषियों ने प्रश्न किया कि आपने मिट्टी के शंकर बनाने की बात बताई, कृपा कर विस्तार सहित बताएं कि किस ढंग से मिट्टी को खोदा जाए, रौंदा जाए, शिवलिंग बनाया जाए, प्रतिष्ठा की जाए और कैसे वेद मंत्रों से पार्थिव पूजा की जाए। जो वेद मंत्रों के ज्ञाता हैं, वे वेद मंत्रों से पार्थिव पूजन करें, लेकिन जिन्हें वेद मंत्रों का अभ्यास नहीं है, वह आठ नाम याद कर लें-हरो महेश्वरः शम्भुः शूलपाणिः पिनाकधृत। शिवः पशुपतिश्चैव महादेव इति कृपा।। जब आपको पार्थिव पूजा करनी हो, आपको कोई वेद मंत्र नहीं आते, आप केवल ये आठ नाम याद कर लो। हराय नमः, महेश्वराय नमः,शंभवे नमः, शूलपाणये नमः,पिनाकदृशे नमः, शिवाय नमः,पशुपतये नमः, और महादेवाय नमः,ये आठ नाम हो गये। आप हराय नमः कहकर मिट्टी उठा लो, महेश्वराय नमः कहकर उसमें जल डाल दो, इसी प्रकार शम्भवे नमः कहकर शिवलिंग बना लो,शूलपाणये नमः कहकर आवाहन कर लो। पिनाकदृशे नमः कहकर पूजन कर लो और कुछ नहीं आता, तब शिव-शिव कहकर या नमः शिवाय कहते हुए धूप-दीप, नेवैद्य, चंदन आदि समर्पित कर पूजन कर लो, वह सब स्वीकार कर लेंगे। अन्ततोगत्वा महादेवाय नमः कहकर विसर्जन कर दो।

पार्थिव पूजा में नित्य आवाहन करना पड़ता है और नित्य विसर्जन करना पड़ता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

 

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