राजस्थान। राजस्थान सरकार ने बच्चों को ऑनलाइन गेम की लत से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें पालकों और शिक्षकों को ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिनसे वे बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग का आदी होने से बचा सकते हैं। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने शनिवार को यह एडवाइजरी जारी की है। इसमें ऐसे तकनीकी बिंदुओं का सुझाव दिया गया है, जो गेमिंग में बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखने और उनकी भागीदारी में मददगार हैं। माता-पिता और शिक्षकों को यह देखने के लिए कहा गया है कि क्या बच्चे असामान्य तरीके से व्यवहार कर रहे हैं? क्या वे ज्यादातर ऑनलाइन गतिविधियों में शामिल हैं? उनके ऑनलाइन समय में विशेष रूप से सोशल मीडिया पर अचानक वृद्धि हुई है? क्या वे इंटरनेट का उपयोग करने के बाद आक्रामक हो जाते हैं? राजस्थान सरकार की एडवाइजरी में पालकों को घर पर एक “इंटरनेट गेटवे” स्थापित करने का सुझाव दिया। इससे उनके बच्चे के इंटरनेट उपयोग की प्रभावी निगरानी में मदद मिलेगी। यह भी सुझाव दिया गया कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चा पारिवारिक स्थान पर रखे गए कंप्यूटर से इंटरनेट का उपयोग करे। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की उपायुक्त सना सिद्दीकी ने कहा कि प्रौद्योगिकी के इस युग में, ऑनलाइन गेमिंग बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय है। कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद होने से बच्चों में मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग बढ़ गया है। इसके कारण बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग का शौक भी तेजी से बढ़ा है। ये ऑनलाइन गेम बच्चों के लिए आसानी से उपलब्ध हैं और कंप्यूटर, टैबलेट और इंटरनेट से जुड़े मोबाइल जैसे उपकरणों पर खेले जाते हैं। सना सिद्दीकी ने कहा कि ऑनलाइन खेलों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वे बच्चों को खेल जारी रखने के लिए जुनून की हद तक उत्साहित करते हैं। इसी कारण बच्चे इसके आदी हो जाते हैं और अंततः गेमिंग विकार से पीड़ित होते हैं। इनकी खेलों की लत के कारण बच्चे के शैक्षिक और सामाजिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।