राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि गुरु से मंत्र प्राप्त करना, गुरु से माला प्राप्त करना, गुरु को शिव का रूप समझना, गुरु का बचा हुआ प्रसाद, गुरु का दिया हुआ महाप्रसाद है। जिसकी गुरु में निष्ठा हो गई उसे शिव की प्राप्ति हो गई। भगवान शंकर ही गुरु बनकर जीवों का कल्याण करते हैं। भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए पहले गुरु बनाना, उनसे दीक्षा लेना और उन्हें शिव का ही स्वरूप मानना। गुरु के प्रति श्रद्धा रखना ” यथा देवे तथा गुरौ ” ईश्वर किसे मिलता है? जिस साधक की तीन में अभेदता हो जाए, उसे ईश्वर प्राप्त हो जाता है। अपनी आत्मा, अपने इष्ट देव और अपने गुरु, ये तीनों जिन्हें एक रूप में भासने लग जाएं। उनको सिद्धि प्राप्त होने में देर नहीं लगती। लेकिन जो इन तीनों को अलग मानते हैं, उनको शीघ्र सिद्धियां प्राप्त नहीं होती हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)