शत् रुद्र संहिता में भगवान शंकर की अनंत अवतारों की कथा का है वर्णन: दिव्या मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि सानिध्य-श्री घनश्याम दास जी महाराज (पुष्कर-गोवर्धन) कथा स्थल-श्री मंशापूर्ण भूतेश्वर महादेव मंदिर टोंक (राजस्थान) दिनांक÷ 25-2-2022 से 5-3- 2022 तक, कथा का समय-दोपहर 12:30 से 4:30 तक। वक्ता-श्री-श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मुरारी बापू। कथा का विषय-श्री शिव महापुराण में शत् रुद्र संहिता। शत् रुद्र संहिता में भगवान शंकर की अनंत अवतारों की कथा का वर्णन किया गया है। सद्योजातावतार भगवान् ने लिया जिस समय सृष्टि नहीं थी। उसके बाद सृष्टि बनाने के लिये महेश्वर, ईशान, तत्पुरुष, घोर, वामदेव ब्रह्म संज्ञावाली पांच मूर्तियां संसार में विख्यात है। ईशान÷ ईशावास्य- जो संसार में व्याप्त है उसी का नाम ईशान बताया गया है। भगवान शंकर की आठ मूर्तियां विद्वानों के द्वारा प्रचलित है। सर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान। भगवान शंकर के 8 रूप संसार में व्याप्त है। भव÷ भाव अर्थात् जो स्वयं संसार है, यह संसार भगवान का विराट स्वरूप है। अर्धनारीश्वर अवतार÷भगवान् विष्णु के अवतारों में पहला सनकादिक अवतार है। शिव के अवतारों में प्रथम अर्धनारीश्वर अवतार है। शिवा और शिव अर्धनारीश्वर के रूप में प्रकट हुए, इससे सृष्टि का विस्तार हुआ। भगवान शंकर सनातन है,भगवान्  विष्णु के चौबीस अवतारों कह सकते हैं कि ये पहला अवतार है। लेकिन शिव के अवतारों में यह नहीं कहा जा सकता कि ये पहला अवतार है।भगवान् शंकर के अवतारों की कोई गिनती नहीं कर सकता। भगवान् शंकर कहते हैं हर द्वापर युग में व्यास के रूप में मैं अवतार लेता हूं। अट्ठाइस व्यास का वर्णन शिवपुराण में किया गया है। नंदीश्वर अवतार, कालभैरव अवतार, शरभावतार, गृहपति अवतार, यक्षेश्वर अवतार, दशावतार÷ भगवान शंकर के द्वारा दस विद्याओं का प्राकट्य हुआ। महाकाल,तारनाम,भुवनेश, श्रीविद्येश,भैरव, छिन्नमस्तक,
धूमवान, बंगलामुख, मातंग, कमल। एकादश अवतार- कपाली, पिंगलो,भीमो,विरुपाक्षो विलोहितः। शास्ता, जपाद, हिर्बुध्न्य, शंभू, चण्डो भवस्तथा।। प्राणेश्वर अवतार, मनेश्वर अवतार, क्रियेश्वर अवतार। दुर्वासावतार, हनुमंत अवतार, महेश्वरावतार, वृषेश्वतार, पिप्पलादावतार, वैश्यनाथावतार, द्विजेश्वरावतार, यतिनाथावतार, कृष्णदर्शन शिवावतार, अवधूतेश्वरावतार, भिक्षुवर्यावतार,  सुरेश्वरावतार, ब्रह्मचारि  शिवावतार, सुनर्तक शिवावतार, साधु-द्विज शिवावतार, अश्वत्थामा  शिवावतार, किरातेश्वरावतार आदि। भगवान अवतार लेकर तीन काम करते हैं। सज्जनों की रक्षा, धर्म की स्थापना, दुष्टों का संहार अधर्म का नाश, और सुंदर लीला के माध्यम से जगत को शिक्षा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी,
दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा
(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर  जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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