पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि दक्ष प्रजापति ने भगवती पराम्बा को प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया। बहुत वर्षों की कठिन तपस्या के बाद भगवती ने उन्हें दर्शन दिया। पराम्बा भगवती का दिव्य दर्शन करके दक्ष बहुत प्रसन्न हुए और फिर उन्होंने वर माँगा कि मां आप हमारी पुत्री बनकर अवतरित हों, ताकि हमारा महत्व बढ़े। कहते हैं कि पुत्र लायक हो, तब पिता का महत्व बढ़ जाता है, शिष्य लायक मिल जाए, तब गुरु का महत्व बढ़ जाता है। गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी के कारण पूज्य सदगुरुदेव श्री नरहर्यानन्दाचार्य जी का नाम बढ़ गया। श्रीविवेकानंद जी के कारण सदगुरुदेव स्वामी श्री रामकृष्ण परमहंस का नाम भी प्रचलित हुआ, क्योंकि विवेकानंद ने अपने नाम से कोई आश्रम नहीं बनाया। देश विदेश में उनके हजारों आश्रम बने लेकिन सबका नाम रामकृष्ण आश्रम रखा गया। वह कहते थे कि मैं कुछ भी नहीं हूं, मुझ में जो कुछ है सब मेरे गुरु द्वारा दिया हुआ है, इसीलिए जो भी होगा उन्हीं के नाम से होगा। योग्य शिष्य गुरु के आधार पर चलता है, लायक पुत्र पिता के आधार पर चलता है। दक्ष मां भगवती से प्रार्थना की कि यदि आप हमारी पुत्री बनें तो हमारा महत्व बढ़ जाए। माँ ने कहा ठीक है। तुम्हारी तपस्या से मैं बहुत प्रसन्न हूं, तुम्हारी पुत्री बनकर मैं अवतरित होऊँगी। पराम्बा भगवती वीरिणी के गर्भ में दिव्य तेजोमय प्रकाश रूप में अवतरित हुई। चैत्र की नवमी को दिन के 12 बजे पराम्बा भगवती सती दक्ष के यहां प्रगट हुई। भगवती का नाम सती इसलिए है क्योंकि यह भगवान शंकर को छोड़कर, किसी दूसरे को देखती भी नहीं है। एक व्यक्ति 200-400 माला प्रतिदिन जपता है लेकिन आचरण ठीक नहीं है और दूसरा अधिक जप नहीं कर पाता लेकिन वह श्रेष्ठ आचरणवान है, तब परमात्मा के द्वार में अधिक जप करने वाले की अपेक्षा श्रेष्ठ आचरण वाला ज्यादा सम्मान पाता है। लिखा है कि जब कोई पतिव्रता किसी तीर्थ में गोता लगाने जाती है, तब तीर्थ स्वयं को धन्य धन्य मानते हैं कि आज मैं वास्तव में तीर्थ हुआ क्योंकि किसी पतिव्रता ने मेरे अंदर स्नान कर लिया है, सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी,दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।