राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीपद्ममहापुराण में श्रीरामकथा
श्रीपद्ममहापुराण के चतुर्थखंड पातालखंड में भगवान श्री राम की संपूर्ण कथा का गान किया गया है। भगवान व्यास कहते हैं- मुझे ऐसी बुद्धि प्राप्त हुई है जो श्री रामचंद्र के युगल चरणारविन्दों का मकरंद पान करने के लिए लोलुप रहती है। सभी ऋषि-महर्षि साधु पुरुषों के सत्संग को श्रेष्ठ बतलाते हैं, इसका कारण यही है कि सत्संग होने पर श्री रघुनाथ जी की उस कथा के लिये अवसर मिलता है, जो समस्त पापों को नाश करने वाली है। देवता और असुर प्रणाम करते समय अपने मुकुटों की मणियों से जिनके चरणों की आरती उतारते हैं, उन्हीं भगवान श्री राम का स्मरण अगर कोई हमें करावे, तो मुझ पर उसका बहुत बड़ा अनुग्रह है। जहां ब्रह्मा आदि देवता भी मोहित होकर कुछ नहीं जान पाते, उसी रघुनाथ कथारूपी महासागर की थाह लगाने के लिये मेरे जैसे मशक समान तुच्छ जीवकी कितनी शक्ति है।
तथापि मैं अपनी शक्ति के अनुसार श्रीराम- कथा का वर्णन करूंगा; क्योंकि अत्यंत विस्तृत आकाश में भी पक्षी अपनी गमन शक्ति के अनुसार उड़ते ही हैं। श्री रघुनाथ जी का चरित्र करोड़ों श्लोकों में वर्णित है। जिनकी जैसी बुद्धि होती है वे वैसा ही उसका वर्णन करते हैं। जैसे अग्नि के संपर्क से सोना शुद्ध हो जाता है, उसी प्रकार श्री रघुनाथ जी की उत्तम कीर्ति श्रवण करने वाले की बुद्धि को निर्मल बना देती है। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान (वृद्धाश्रम) का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में चातुर्मास के पावन अवसर पर श्रीपद्ममहापुराण कथा के सप्तम दिवस पाताल खंड की कथा का गान किया गया। कल की कथा में उत्तरखंड की कथा का गान किया जायगा किया जायेगा।