पुष्कर/राजस्थान। भगवान् की कथा अर्थात् नीरस जीवन को सरस करे वही है कथा। जीवन में आनंद नहीं है क्योंकि रस नहीं है। रस में सराबोर कर दे वही है कथा और इससे आनंद, परमानंद, ब्रह्मानंद से भर जायेंगे। रस नाम परमात्मा का है। ईश्वर पर भरोसा- जीवन में पैसा है परंतु प्रभु नहीं है इसलिये रस नहीं है। इसका कारण यह है कि प्रेम नहीं है। आज सम्बन्ध स्वार्थी हो गये हैं। आज मनुष्य को दूसरे मनुष्य पर भरोसा नहीं क्योंकि प्रत्येक मनुष्य का प्रत्येक व्यवहार अविश्वास से भरा हुआ है। मनुष्य को मनुष्य पर भरोसा नहीं है और बातें करता है ईश्वर पर विश्वास की। स्वार्थ में विश्वास नहीं है। विश्वास समर्पित होता है। जीवन एक बोझ- आज हम जीवन नहीं जीते जीवन को ढो रहे हैं, बोझ की भांति। मजदूर जिस प्रकार बोरी उठाता है उसी प्रकार हम भी जीवन को ढोते हैं इसलिये जीवन भाररूप लगता है। थक जाते हैं क्योंकि भटक गये हैं। प्रीतिजन्य शांति- आज सभी कहते हैं कि हमारे पास सब कुछ है, लेकिन शांति नहीं। सो हम क्या करें, संत जन कहते हैं शांति के लिये कुछ करना नहीं है, बस जो कर रहे हो वो सब बंद कर दो। भीतिजन्य शांति किसी काम की नहीं। प्रीतिजन्य शांति चाहिए। भीतिजन्य शांति शमशान की शांति है। अध्यात्म से ही प्रीतजन्य शांति होगी। शास्त्र भगवान् की वाणी है- वास्तव में सत्य न नूतन है, न पुरातन है। सत्य तो सनातन है। उस सनातन सत्य की बात कहने वाले ये शास्त्र हैं। शास्त्र वचन और गुरु वचन पूर्ण निष्ठा पूर्वक मानना श्रद्धा है। शास्त्र प्रमाण श्रेष्ठ है। शब्द प्रमाण श्रेष्ठ है। जप की महिमा- संसार श्री राम के नाम का जप करता है। श्री भरत जी नंदीग्राम में रहे और श्री राम नाम का जप करते रहे। श्रीरामजी वन में भरत के नाम का जप करते रहे। भक्ति का यह चमत्कार है जो निष्काम सेवा करेगा उसे भगवान फल देते ही हैं। इस भगवत सेवा का फल भक्ति मिलता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।