पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि समय पाकर भूमि की शुद्धि होती है, स्नान से तन की शुद्धि होती है। शौचादि से वस्त्रों की शुद्धि होती है, संस्कारों से गर्भ की शुद्धि होती है, तप से इंद्रियों की शुद्धि होती है, यज्ञ से ब्राह्मण की शुद्धि होती है, दान से धन की शुद्धि होती है, संतोष से मन की शुद्धि होती है, और आत्मज्ञान से आत्मा की शुद्धि होती है। आज कोई भूमि अपवित्र है तो आवश्यक नहीं कि वह हमेशा अपवित्र ही रहेगी, आज हो सकता है जहां लोग कूड़ा करकट डाला जा रहा हो, कल को वहीं कोई पूज्य स्थल बन जाये और सब लोग माथा टेकने लगें। इसीलिए धर्मशास्त्र कहते हैं समय पाकर भूमि की शुद्धि होती है। स्नान से तन की शुद्धि होती है। रात्रि शयन के बाद सुबह स्नान करके ही हम-आप पूजा पाठ में शामिल होते हैं। भागवत में धुंधकारी के विषय में लिखा है कि धुंधकारी मुर्दे के हाथ से भोजन करता था। मुर्दा उसे कैसे खिलाता होगा ? और धुंधकारी कैसे खाता होगा ? तो संतो ने कहा कि स्नान किये बिना शरीर अपवित्र रहता है, धुंधकारी बिना स्नान किये ही भोजन कर लेता था इसलिए उसको लिखा गया है, “।शव हस्तेन भोजनः ” तो बिना स्नान किये न तो भोजन बनाना चाहिए, न तो भोजन करना चाहिए। वस्त्र में भी पवित्रता अपवित्रता का ध्यान रखना पड़ता है।जन्मना जायते शूद्रः संस्कारान् द्विज उच्चयते। धर्मशास्त्र कहते हैं व्यक्ति जन्मजात महान नहीं होता, माता-पिता गुरुजन के द्वारा प्राप्त संस्कारों से महान बनता है। माता-पिता गुरुजन को भी बहुत सावधान रहना चाहिए कि हमारे बच्चों में अच्छे संस्कार आवें। वकील की भूल फाइलों में छुप जाती है, डॉक्टर की भूल श्मशान में छुप जाती है, लेकिन माता-पिता गुरुजन अगर बच्चों में संस्कार की कमी रख दिए तो वो भूल कहीं नहीं छुपने वाली है,दस वर्ष में सब जगह दिखाई पड़ेगी। आज जो समाज में विकृति दिखाई पड़ रही है, इसके पीछे समाज की असावधानी जरूर है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।