पुष्कर/राजस्थान। कथा के अमृत बिन्दु:- दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सारे जगत् को कोई खुश नहीं कर सका। सारे दिव्य सद्गुण जिस पुरुष में एकत्र हो जायें, वह भगवान् है। सिद्धांतों का ज्ञान प्रायः सभी को है पर पुण्यवान् पुरुष ही उन्हें जीवन में उतार सकते हैं। सिद्धांतों को जो अपने जीवन में उतारे, वह ज्ञानी है। सिनेमा देखने से आंख,शरीर, मन और अन्त में जीवन बिगड़ जाता है। पैसा खर्च करके अंधेरे में बैठना अज्ञानता है। सिर्फ ईश्वर के लिए जीने वाला सन्यासी है। सिर्फ जाना हुआ ज्ञान काम नहीं आता। किंतु जीवन-व्यवहार में उतारा हुआ ज्ञान काम आयेगा। सुख के अन्त में, दुःख के अन्त में, और देहांत के समय भगवान् की स्तुति करो। सुख-दुःख प्रारब्ध के अधीन है। सुख-संपत्ति मिले तो भी भगवान् का भजन नहीं छोड़ो। सुखी रहना है तो कम खाओ और गम खाओ। सुखी होना है तो अपने चालीसवें वर्ष से संसार को धीरे-धीरे छोड़ना शुरू करो। इक्यानवे (51) वर्ष में एकानत वन में चले जाओ। सुखी होना है तो चार क्रियापद याद रखो: चलेगा, भायेगा, माफिक है, पसन्द है। सुखी होना है तो विषयों से प्रेम मत करो। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।