पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा चतुर्थ दिवस श्री कृष्ण जन्म महोत्सव सत्संग के अमृत बिंदु-जब-जब संसार में ही धर्म की हानि होती है और जब समाज में अधर्म पुष्ट हो रहा होता है, समाज में संतों को पीड़ा दी जाती है और दूर्जनों को उसमें आनंद मिल रहा होता है। तब भगवान दर्शक बनकर बैठे नहीं रहते, मगर पक्षधर बनकर अवतार लेते हैं। समाज में सज्जन निष्क्रिय होते हैं और दुर्जन सक्रिय होते हैं, सज्जनों में अकर्मण्यता व्याप्त होती है और दूर्जनता कर्मठ बन जाती है। ऐसी स्थिति में हाथ पर हाथ धरकर ईश्वर बैठे नहीं रहते। अनासक्त होकर जिओगे तो कोई हर्ज नहीं है। सोने की द्वारिका में रहना कोई अपराध नहीं है, मगर सोने की द्वारिका नीति की नींव पर खड़ी होनी चाहिए। संसार में रहोगे मगर श्रीकृष्ण की तरह अनासक्त बनकर जिओगे तो कृष्ण की कृपा आप पर बरसेगी। दूध में घी होता है मगर दूध में से घी को प्रकट करना पड़ता है। दूध में से दही, दही से छाछ, छाछ में से मक्खन और मक्खन में से घी। इसी तरह परमात्मा व्यापक है। उसे केवल प्रगट करना पड़ता है। हरि व्यापक सर्वत्र समाना। हरि व्यापक और सर्वत्र समान है मगर प्रभु को प्रकट करने वाला है प्रेम!सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी,दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन जिला मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर, जिला अजमेर (राजस्थान)।