पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री कृष्ण- ‘स्वभावविजयो शौर्यम्। ‘अपने स्वभाव पर विजय पाना शूरवीरता है। अपने से अधिक बलवान् को पराजित करना, युद्ध में विजय प्राप्त करना, शौर्य का व्यावहारिक पक्ष हो सकता है। परंतु भगवान श्री कृष्ण की दृष्टि में स्वभाव पर विजय पाना ही वास्तविक शूरवीरता है, जो असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है। मानव अपना शत्रु अपना मीत, इंद्रियसंयम पर बल है है गीता का गीत। विश्व विजय से पहले भारती, अपने मन, स्वभाव,अहं को जीत।। ऊंची से ऊंची डिग्री पाना, मधुर भाषण देना, पर-उपदेश सरल है पर अपने मन और स्वभाव पर विजय कर पाना कठिन है। जिस प्रकार तेल और घी जल से ऊपर रहते हैं इसी प्रकार स्वभाव सब गुणों से ऊपर रहता है। प्रायः लोग जानते हैं क्रोध अच्छा नहीं। पर-नारी या पर-पुरुष से गलत संबंध नर्क में धकेलता है। यह जानते हुए भी की सांसारिक विषय किसी को अखंड शांति नहीं देते। परिवार का मोह दुःखदायी है। फिर भी व्यक्ति स्वभाव से विवश होकर यह पतित कार्य करता है। अतः स्वभाव पर विजय पाना महानता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला अजमेर (राजस्थान)