हमें केवल परमात्मा की प्राप्ति के लिए मिला है मनुष्य शरीर: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी ने कहा कि मनुष्य शरीर केवल परमात्मा की प्राप्ति के लिये ही मिला है। भगवान् कृपा करके जन्म-मरण के चक्र से छूटने के लिये मनुष्य शरीर देते हैं, परंतु मनुष्य शरीर पाकर हमारे मन में संसार के सुखों की लालसा चलती रहती है, जिससे हम परमात्मा की तरफ न जाकर सांसारिक पदार्थों का संग्रह कर सुख लेने में ही लगे रहते हैं। अंत में मृत्यु को प्राप्त कर लेते हैं और भगवान् को प्राप्त करने का सुंदर अवसर गंवा बैठते हैं। संसार में आना, चौरासी लाख योनियों में भटकना हमारा काम नहीं है। ये गांव, कुटुम्ब, धन, पदार्थ यहां तक कि यह शरीर भी हमारा नहीं है और हम इसके नहीं हैं। यह सब अपरा प्रकृति के हैं और हम परा प्रकृति के हैं। परंतु भूल से हमने अपने को यहां का रहने वाला मान लिया है। इस भूल को मिटाना चाहिए। क्योंकि हम सिर्फ भगवान के हैं, हम भगवान के अंश हैं, भगवान सदैव हमारे साथ हैं, यही परम सत्य है और सत्य के लिये ही यह जीवन है, भागवत के नवम् स्कंध में भक्त अम्बरीश की कथा का गान किया गया।
राजा भगीरथ के द्वारा गंगावतरण की कथा, दिलीप, रघु, अज, महाराज दशरथ की कथा का गान किया गया। भगवान श्रीराम का प्राकट्य और संपूर्ण चरित्र का गान किया गया। निमि-वंश में भगवती सीता के प्राकट्य की कथा का गान किया गया। चन्द्रवंश में राजा नहुष, ययाति, यदु जी महाराज और यदु जी के वंश में राजा शूरसेन और वसुदेव जी महाराज की कथा का गान किया गया। दशम स्कंध के प्रारम्भ में भगवान् नंदनंदन श्यामसुंदर भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य की कथा का बहुत अद्भुत वर्णन किया गया। शंभूगढ़ की पावन भूमि, श्री रामदेव दरबार का पावन स्थल, महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा के चतुर्थ दिवस, भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य की कथा का गान किया गया और बड़े ही धूमधाम से नंदोत्सव भी मनाया गया। कल की कथा में गोवर्धन पूजा की कथा का गान किया जायेगा और गोवर्धन पूजा का उत्सव महोत्सव भी मनाया जायेगा।