हिमालय हमारी आध्यात्मिकता का है केंद्र: राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी

हिमाचल प्रदेश। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि हिमालय हमारी आध्यात्मिकता का केंद्र है। विश्वभर से लोग आध्यात्मिक ज्ञान के लिए यहां आते हैं। उन्होंने यह बात हिमालय दिवस पर हिमालय यूनाइटेड मिशन हम और टेक्नो-हब लेबोरेटरीज की ओर से वर्चुअल माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में कही। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से विश्वभर में हिमालय दिवस को मान्यता मिली है। हैस्को के संचालक कई सालों से हिमालय की रक्षा, उत्थान और प्राकृतिक ढंग से लोगों के बीच में विकास का काम कर रहे हैं। हिमालय जनता के हृदय में बसे और उसकी रक्षा कैसे हो, इसके प्रयास किए जा रहे हैं। पद्मश्री डॉ.अनिल जोशी ने कहा कि आज सबसे महत्वपूर्ण इस दिवस का हिस्सा यह है कि यह दिवस सामूहिकता का प्रतीक बना। पिछले 10 वर्षों में देखने में आया है कि हिमालय आहत है। हमारी पहचान और अस्तित्व हिमालय से ही जुड़े हैं। हम अगर अपने अस्तित्व को नकारेंगे तो शायद हम कोप का भागीदार होंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि स्व.सुंदर लाल बहुगुणा ने हिमायल को नया जीवन और पहचान दी है। उनका संघर्ष माटी, जल, जंगल पर रहा है। आज उनके विजन को मिशन देने की जरूरत है। हिमालय विषय केवल हिमालयी राज्यों का ही नहीं, बल्कि दुनिया का रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि हिमालय हमारी पहचान है। सौभाग्य से वह हिमालय क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति हैं। इस आधार पर वह कह सकते हैं कि आज स्थितियां चिंताजनक हो रही हैं। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार में हिमायल मिशन था, लेकिन आज हम उस मिशन को नहीं सुन पाते। पानी के बारे में चिंता नहीं करते, जिसके प्रति गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपनी सरकार के कार्यकाल के दौरान जल बोनस और वृक्ष बोनस मेरा वृक्ष मेरा धन योजना बनाई थी, लेकिन आज वो योजनाएं खो गई हैं। कार्यक्रम में वन आंदोलन के संयोजक किशोर उपाध्याय, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, प्रोफेसर मोहन सिंह पंवार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना, चंदन नयाल, हरीश, कुसुम घिल्डियाल, आरके खजुरिया, दिव्या गुप्ता, रघु तिवारी ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने किया।

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