पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि योगी बनने के लिये हमें क्या करना चाहिए? योगी बनने के लिए उपयोगी बने। उपयोगी बनने के लिये तीन गुण जीवन में चाहिए। एक है प्रेम, दूसरा है त्याग और तीसरा है सेवा। सबसे जरूरी बात है प्रेम की।
वैर की भावना से मनुष्य मानवता शून्य हो जाता है इसलिये वैर भाव त्याग करना चाहिए। प्रेम ही मनुष्य को जिंदा रखता है। चाहे मनुष्य हो, पशु हो, चाहे पक्षी हो, प्रेम ही जीवन की संजीवनी है। जहां प्रेम होता है वहां त्याग अपने आप आ जाता है। जहां त्याग होगा वहां समर्पण सहज रूप से प्रकट होगा। सेवा वे लोग ही कर सकेंगे, जिनके हृदय में प्रेम और त्याग होगा। प्रेम और त्याग के बिना सेवा की बातों का कोई मूल्य ही नहीं है। समाज और राजनीति के क्षेत्र में सेवा की बातें करने वाले बहुत मिलेंगे। मगर प्रेम और त्याग के अभाव में सेवा असंभव है।
प्रेम द्वारा प्रभु के लिये उपयोगी बनो। त्याग द्वारा अपने लिए उपयोगी बनो और सेवा द्वारा समाज और राष्ट्र के लिये उपयोगी बनो, जिसके जीवन में त्याग है वह व्यक्ति अपने लिये उपयोगी है। जैसे-जैसे आप दूसरे के लिये त्याग करने की वृत्ति विकसित करते जाओगे, तो उसके साथ अपने लिए भी उपयोगी साबित बन जाओगे।
त्याग का मतलब है इगो का त्याग। अहं का त्याग। मैं भाव का त्याग। अपने दुराग्रह का त्याग। वैरवृत्ति का त्याग। व्यसन का त्याग। इन सब त्याग से तुम अपने लिये उपयोगी बनती हो। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन श्री दिव्य घनश्याम धाम गोवर्धन से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।