उत्तराखंड। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का 25 अक्टूबर को एलान हो जाएगा। अखाड़ा परिषद कार्यकारिणी स्तर पर इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। परिषद कार्यकारिणी ने प्रयागराज स्थित तपोनिधि श्री निरंजनी अखाड़ा दारागंज में बैठक बुलाई है। परिषद की प्राचीन परंपरा के साथ श्री निरंजनी अखाड़े से ही नए अध्यक्ष का चयन होगा। इसके लिए सात अखाड़ों ने सहमति दे दी है। श्री निरंजनी अखाड़े से अध्यक्ष पद के लिए अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी दौड़ में सबसे आगे हैं। 20 सितंबर को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ब्रह्मलीन हो गए थे। उनके आकस्मिक निधन के बाद परिषद के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह शास्त्री बतौर कार्यवाहक अध्यक्ष परिषद के कार्यों का संचालन कर रहे हैं। अखाड़ों की ओर से नए अध्यक्ष के चयन का लगातार दबाव बन रहा है। सभी 13 अखाड़ों के श्रीमहंत, महामंडलेश्वर और खालसों में अध्यक्ष पद के लिए होड़ मची है। कई अखाड़े पूरी कार्यकारिणी का नए सिर से चुनाव करने की वकालत कर रहे हैं, जबकि मौजूदा कार्यकारिणी का चयन इसी साल हुआ है। कार्यकारिणी का कार्यकाल 2026 तक है। ऐसे में परिषद के अध्यक्ष के रिक्त पद पर ही चयन होना है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि नए अध्यक्ष का चयन प्राचीन परंपरा से होगा। ब्रह्मलीन नरेंद्र गिरि श्री निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत थे। लिहाजा, नए अध्यक्ष का पहला हक श्री निरंजनी अखाड़े के संतों का होगा। किसको अध्यक्ष बनाना है, प्रस्ताव श्री निरंजनी अखाड़े के संतों की ओर से दिया जाएगा। श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव एवं मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी इस दौड़ में सबसे आगे हैं। प्रयागराज बाघंबरी पीठ और लेटे हनुमान मंदिर की गद्दी पर ताजपोशी में श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने ही अहम भूमिका निभाई है। महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि के मुताबिक अध्यक्ष के नाम की घोषणा के लिए 25 अक्तूबर को प्रयागराज स्थित तपोनिधि श्री निरंजनी अखाड़ा दारागंज में बैठक बुलाई गई है। सभी 13 अखाड़ों को बैठक और नए अध्यक्ष चयन का एजेंडा भेज दिया है। बृहस्पतिवार शाम तक सात अखाड़ों ने प्राचीन परंपरा पर अपनी सहमति दे दी है।