पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अहं ब्रह्मस्वरूपिणी मत्तः प्रकृतिपुरुषात्मकं जगत्। श्रीमद्देवीभागवत महापुराण परांबा भगवती कहती हैं कि- मैं ही ब्रह्मस्वरूपिणी हूँ,’ मत्तः प्रकृतिपुरुषात्मकं जगत् ‘ मुझसे ही प्रकृति और पुरुषात्मक जगत का निर्माण होता है। मैं ही ग्यारह रुद्र हूं, मैं ही द्वादश सूर्य हूं, मैं ही अष्टवसु हूं, सत् और असत् भी मैं ही हूं, अमृत और मृत्यु भी मैं हूं। प्रलयकाल में न मैं स्त्री हूं, न मैं पुरुष हूं, वहां केवल सत्ता के रूप में निर्विकार और निराकार रूप में मैं विराजमान हूं। भक्तों के कल्याणार्थ बैकुंठधाम भी है, और शिवलोक भी है। पराम्बा भगवती के दिव्यलोक का नाम मणिद्वीप है। श्रीमद्देवीभागवत महापुराण में बहुत विस्तार है। यह लोक चौवालिस परकोटों से घिरा हुआ है और सुधा सागर के बीच में है।
इस पृथ्वीलोक को घेरने वाला खारा समुद्र है। मां का महाद्वीप सुधा समुद्र से आवृत्त है। अमृत का एक कण मिल जाने से मरा व्यक्ति जीवित हो सकता है। एक पारसमणि मिल जाने से सारे देश की गरीबी दूर हो सकती है। जरा सी पारसमणि से लोहे को छुओ, लोहा सोना बन जाता है। यह पारसमणि का ही लक्षण है। लेकिन मां का जो धाम है, वह पूरा पारसमणियों से बना है। एक कल्पवृक्ष मिल जाने से मृत्यु-लोक और स्वर्ग-लोक की समस्त कामनाएं पूरी हो जाती है। लेकिन मां के धाम के सारे बाग पारिजात कल्पवृक्षों के हैं। श्रीमद्देवी भागवत महापुराण में लिखा है कि- सुबह उठकर सुधा समुद्र, मणिदीप और वहां की दिव्य कल्प वाटिकाओं, हरिचंदन वाटिकाओं और पारिजात वाटिकाओं का ध्यान कर लेने से आप जल्दी बीमार नहीं होंगे, गरीब नहीं होंगे, आपका जीवन धन्य धन्य हो जायेगा।
सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।