प्रयागराज। अतीक और अशरफ मर्डर केस में नए नए खुलासे हो रहे है। वारदात के बाद कुछ ऐसी बातें सामने आईं थीं, जिससे शुरू से ही अंदेशा जताया जा रहा था कि हत्याकांड में तीन से ज्यादा लोग शामिल थे। शूटरों का सटीक टाइमिंग से मौके पर पहुंचना, उनसे मोबाइल या रुपये बरामद न होना, तीनों का अलग-अलग जनपदों का होना, प्रयागराज से कोई पुराना कनेक्शन न होना, जैसी तमाम बातें थीं जो कुछ और ही इशारा कर रही थीं। जांच में ये बात सामने आई है कि दो हैंडलर की ओर से शूटरों को कमांड मिल रही थी। दोनों हैंडलर एक दिन पहले भी शूटरों के साथ ही थे।
मिली जानकारी के अनुसार, हत्या से पहले भी हैंडलर कॉल्विन अस्पताल के पास मौजूद थे जब अतीक व अशरफ को मेडिकल के लिए लाया गया था। हालांकि तब मीडियाकर्मियों की भीड़ ज्यादा होने के कारण उन्हें अपना प्लान बदलना पड़ा था। इसके बाद वह बिना वारदात अंजाम दिए ही वापस चले आए थे। वहीं सूत्रों का कहना है कि एसआईटी ने कस्टडी रिमांड पर लिए गए तीनों शूटरों से इन्हीं के बाबत सवाल पूछे। कहा कि जब उनके पास मोबाइल नहीं था तो आखिर कैसे पता चला कि माफिया भाई कितने बजे अस्पताल पहुंचेंगे। कमांड करने वाले में से एक स्थानीय था और उसने ही शूटरों के रहने, खाने से लेकर उन्हें अतीक-अशरफ की लोकेशन देने तक का काम किया था।
अस्पताल के बाहर से हैंडलर दे रहे थे कमांड
पुछताछ में पता चला कि शूटरों के दो मददगार भी वहां मौजूद थे। हालांकि, यह लोग कॉल्विन अस्पताल के भीतर नहीं गए थे बल्कि, बाहर ही रहकर शूटरों को लोकेशन दे रहे थे। यह बात भी सामने आई कि इन दोनों में से एक स्थानीय था जिसे शहर के चप्पे-चप्पे की जानकारी थी। उसने ही शूटरों के ठहरने, खाने से लेकर अन्य इंतजाम किया था। फिलहाल इन दोनों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
नहीं बताया, किसके कहने पर कर रहे थे मदद
शूटरों से पड़ताल में यह पता चला है कि उन्हें इन दोनों हैंडलरों के ही संपर्क में रखा गया था। लेकिन यह नहीं बताया गया कि दोनों हैंडलर किसके कहने पर उनकी मदद कर रहे हैं। वह किसी से फोन पर बातें करते थे और फिर उसके मुताबिक ही उन्हें कमांड देते थे। कहा जा रहा है कि हैंडलरों के पकड़े जाने के बाद ही पता चल सकेगा कि उनका आका कौन है, जिसके कहने पर वह शूटरों की मदद कर रहे थे।
लवलेश और उसके परिवार के खर्चों का जुटाया जा रहा हिसाब-किताब
जांच में जुटी स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) और प्रयागराज पुलिस हत्यारों की कुंडली खंगालने में जुटी हैं। लवलेश तिवारी और उसके परिवार वालों के खर्चों का हिसाब-किताब भी जुटाया जा रहा है। संत बन चुके लवलेश के बड़े भाई रोहित नाथ से भी पूछताछ हो सकती हैं। घटना से छह दिन पूर्व लवलेश तिवारी घर से बिना बताए लापता हो गया था।
शूटरों को खतरा, पुलिस लाइन में ही मेडिकल
सूत्रों का कहना है कि कस्टडी रिमांड में अतीक-अशरफ की हत्या के बाद पुलिस फूंक-फूंककर कदम रख रही है। इसी क्रम में शूटरों की सुरक्षा के भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। यहां तक कि उन्हें मेडिकल के लिए भी बाहर नहीं ले जाया जा रहा है। मेडिकल के लिए डॉक्टरों की टीम पुलिस लाइन में ही बुलाकर जांच कराई जा रही है।
कस्टडी रिमांड के बाद आए थे शहर
शूटरों के बारे में यह भी पता चला है कि वह अतीक-अशरफ की कस्टडी रिमांड मंजूर होने के बाद प्रयागराज पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने धूमनगंज थाने के आसपास भी रेकी की थी। अगले दिन यानी 14 अप्रैल को भी वह धूमनगंज क्षेत्र में ही घूमते रहे। रात में जब अतीक-अशरफ को लेकर धूमनगंज पुलिस कौशाम्बी के महगांव की ओर गई थी तो उन्होंने भी वहां जाने की कोशिश की थी। लेकिन पुलिस के अचानक लौटने से उनकी प्लानिंग फेल हो गई थी। इसके बाद जब दोनों को लेकर पुलिस मेडिकल के लिए कॉल्विन पहुंची तो भी वह नाकाम रह गए। इसके बाद फिर वह मौके की तलाश में लग गए।