होलिका दहन पर नहीं रहेगा भद्रा का साया, जानें पूजन का शुभ मुहूर्त

धर्म। देश भर में होली की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। खुशियों और रंगों भरा त्योहार होली 7 मार्च को है और उसके अगले दिन 8 मार्च को रंगों का पर्व दुल्हैंडी मनाया जाएगा। कई स्थानों पर होली के कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। वहीं होली पर 30 वर्ष बाद 7 मार्च मंगलवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र सिंह राशि के चंद्रमा में अत्यंत शुभ योग बन रहा है। होली बसंत ऋतु में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स ने कहा कि इस बार होलिका दहन में भद्रा का साया नहीं रहेगा।

पंडितों के मुताबिक, होलिका पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 9:30 बजे से लेकर दोपहर 1:58 रहेगा। होलिका दहन के लिए शाम को 6:10 बजे से लेकर 8:30 बजे तक समय शुभ रहेगा। इस बार होली पर अपनी राशि के मुताबिक पूजन करें। मेष राशि वाले मसूर की दाल से पूजन करें और होलिका की तीन परिक्रमा लगाएं। वृष राशि वाले सूखे नारियल में बूरा भरकर होलिका दहन में डालें। पंचांग की माने तो भद्रा 6 मार्च को शाम 4:18 बजे से आरंभ होगी। मंगलवार को सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त भी हो जाएगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 मार्च को शाम 4:17 बजे पर होगी और इसका समापन 7 मार्च को शाम 6:09 बजे पर होगा।

सूर्य की बेटी शनि की बहन है भद्रा :

शास्त्रों के मुताबिक भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। यह कड़क स्वभाव की मानी गई है। मान्यता है कि ब्रह्म देवता ने भद्रा को नियंत्रित करने के लिए कालगणना और पंचांग में विशिष्ट स्थान दिया है।

बन रहा है होली पर दुलर्भ योग :-
होली पर्व पर चंद्रमा सिंह राशि में गोचर करेगा। इसके अलावा मकर राशि में सूर्य, बुध और शनि त्रिग्रही योग में विराजमान होंगे। आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में मंगल वृषभ राशि में विराजमान होंगे।

मंगलवार 7 मार्च को होलिका दहन, बुधवार 8 मार्च को दुल्हैंडी
-होलिका दहन – मंगलवार 7 मार्च
-समय- 06:55 से 09:00 (लाभ चौघड़िया व कन्या-स्थिर लग्न)

होलिका दहन की पूजा विधि :-
होली की पूजा करने वाले व्यक्ति को उत्तर व पूर्व दिशा में मुख करके बैठना चाहिए। पूजा के लिए एक लोटा जल, फूल माला, गुलरियों की माला, चावल, गंध, गुड़, हल्दी, गेहूं की बाली आदि पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है। दहन से पहले इसको निकाल लिया जाता है और इसे ऐसे स्थान पर छिपा दिया जाता है। जिससे प्रहलाद के रूप में इसकी सुरक्षा हो सके।

पंडितों ने बताया कि होली पर अपनी राशि के मुताबिक पूजन करें। मेष राशि वाले मसूर की दाल से पूजन करें और होलिका की तीन परिक्रमा लगाएं। वृष राशि वाले सूखे नारियल में बूरा भरकर होलिका दहन में डालें। मिथुन राशि वाले गाय के उपले व मूंग दाल से होलिका पूजन करें। कर्क राशि वाले सफेद रुमाल में चावल रखकर पूजन करें, फिर अपने ऊपर घुमाकर होली दहन में डालें। सिंह राशि वाले गुड़ और गेहूं से होलिका पूजन करें। कन्या राशि वाले जातक मूंग और पालक से पूजन करें। हरा नींबू अपने ऊपर घुमाकर होलिका दहन में डालें।

तुला राशि वाले पीली सरसों और जायफल से पूजन करें। वृश्चिक राशि वाले मसूर की दाल और पेड़े से होलिका पूजन करें। धनु राशि वाले चने की दाल और कमल गट्टा से पूजन करें। मकर राशि वाले नीले कपड़े में उड़द की दाल बांधकर 5 सिक्के रखकर पोटली बनाकर अपने ऊपर घुमाकर होलिका दहन में डालें। कुंभ राशि वाले काले कपड़े में काला कोयला, उड़द की दाल, लोहे का सिक्का बांधकर तीन बार उतारकर होलिका दहन में डालें। मीन राशि वाले जायफल, लौंग का जोड़ा और सुपारी से पूजन करें। आरोग्य के लिए जायफल को अपने ऊपर से उतार कर होलिका दहन में डालें।

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