पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीव का वास्तविक घर कौन सा है ? धर्मशास्त्र कहते हैं – शरीर ही सच्चा घर है। शरीर सदा आपके साथ रहता है, इसमें आपका आना जाना लगा रहता है। शरीर को नौका मानकर भजन की पतवार से, भवसागर से पार होना है। भजन तो शरीर से होना है। शरीर न हो तो भजन कैसे होगा? कलिपावनावतार गोस्वामी श्री तुलसी दास जी महाराज ने लिखा है कि-बड़े भाग मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सद्ग्रंथन्हि गावा।। साधन धाम मोक्षकर द्वारा। पाइ न जेहिं पर लोकसवांरा।। श्री रामचरितमानस में श्री काग भुसुंडि जी कहते हैं- तजहुँ न तन निज इच्छा मरना। तन विनु वेद भजन नहिं वरना।। एहि तन राम भगति मैं पाई। तात मोहि ममता अधिकाई।। कपि पति रीक्ष निशाचर राजा अंगदादि जे कीस समाज ।। बंदहुँ सबके चरन सुहाए। अधम शरीर राम जिन्ह पाए।। जैसे रेल या वायुयान कुछ समय के लिये आपका घर है, परंतु लक्ष्य तक पहुंचा देता है। शरीर रूपी घर वाहन के रूप में, आपको ईश्वर से मिला देता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)