चुनौतियों के बावजूद कंपनी नई नियुक्तियों पर दे रही है जोर: सीएफओ

नई दिल्‍ली। कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने और आपूर्ति संबंधी चुनौतियों के बावजूद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने कहा है कि वह लाभ मार्जिन को बचाने पर ध्यान दिए बिना कारोबार की जरूरतों के हिसाब से निवेश करना जारी रखेगी। टीसीएस के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) समीर सेकसरिया का कहना है कि कंपनी में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर बढ़कर 11.9 फीसदी हो गई है। इन चुनौतियों के बावजूद कंपनी नई नियुक्तियों पर जोर दे रही है। पिछले एक साल में 75,000 कर्मचारियों की भर्ती की गई है और 2021-22 की पहली छमाही में 43,000 से ज्यादा नौकरियां दी गई हैं और जरूरत पड़ने पर आगे भी भर्तियां करेंगे। बड़ी संख्या में भर्तियों के बावजूद कंपनी की लागत 0.20 फीसदी घटाकर 56.3 फीसदी पर आ गई है। इसकी प्रमुख वजह फ्रेशर्स की बड़ी संख्या में नियुक्तियां हैं। हालांकि, कंपनी अनुभवी पेशेवरों और फ्रेशर्स कर्मचारियों के बीच संतुलन बनाना जारी रखेगी। सेकसरिया ने कहा कि छोटी अवधि में उतार-चढ़ाव के बीच हम सिर्फ मार्जिन बचाने के लिए ही काम नहीं करेंगे। हम कारोबार की जरूरतों को ध्यान में रखकर सही समय पर निवेश जारी रखेंगे। सितंबर तिमाही में कंपनी की मार्जिन 25.6 फीसदी रही है। आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों में तेजी के साथ भारतीय कंपनियां नई नियुक्तियों पर जोर दे रही हैं। यही वजह है कि अगले 12 महीनों में मैक्सिको के साथ भारतीय कंपनियों में दुनिया में सबसे ज्यादा भर्ती की उम्मीद है। एचएसबीसी फ्यूचर ऑफ वर्क सर्वे में कहा गया है कि महामारी के प्रभाव से उबर रहीं भारतीय कंपनियां कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर निवेश कर रही हैं। 80 फीसदी घरेलू कंपनियों की अगले 12 महीनों में पूर्णकालिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की योजना है। सर्वे के मुताबिक, दीर्घकालिक लाभ को देखते हुए 80 फीसदी भारतीय कंपनियां पहले से ही अपने कार्यबल में निवेश कर रही हैं। यह दुनिया के सभी बाजारों में सर्वाधिक है। इसके अलावा कंपनियों के लिए फ्लेक्सिबल वर्किंग वातावरण फायदेमंद साबित हुआ है और करीब 43 फीसदी ने महामारी के बाद इस वातावरण को अपनाया है। घरेलू कंपनियों के लिए रिमोट या हाइब्रिड वर्किंग का सबसे ज्यादा प्रभाव उनकी लाभप्रदता (84 फीसदी) और कर्मचारियों की भलाई (83 फीसदी) पर होगा। यह सर्वे 2,130 से ज्यादा वैश्विक कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों से बातचीत पर आधारित है। इनमें 219 से अधिक भारतीय भी शामिल हैं।

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