नई दिल्ली। कोरोना काल से पहले लाखों विदेशी पर्यटक भारत आते थे। वे तमाम पर्यटन स्थलों की सैर करते और अपने देश लौट जाते थे। केंद्र सरकार की कई योजनाओं से उन विदेशियों को काफी सहूलियत तो मिलती थी, लेकिन एक कमी फिर भी रह जाती थी। वह थी भाषा की कमी। दरअसल, इन विदेशियों और स्थानीय लोगों के बीच बातचीत का माध्यम अक्सर अंग्रेजी भाषा होती थी। जहां यह माध्यम टूटता, वहां घूमने-फिरने का मजा भी किरकिरा हो जाता था। इस दिक्कत को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में भी स्किल डिवेलपमेंट की योजना तैयार की। इसके तहत भारतीय युवाओं को चाइनीज, जापानी समेत अन्य भाषाएं सिखाई जा रही हैं, जिससे विदेशियों से वे उनकी ही भाषा में बातचीत कर सकें।गौरतलब है कि कोरोना काल में लगभग बर्बाद हो चुके टूरिज्म सेक्टर को उबारने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। आंकड़ों की बात करें तो हर साल सिर्फ बिहार के बोधगया में ही करीब साढ़े छह लाख पर्यटक पहुंचते हैं, जबकि देशभर के बौद्ध स्थलों में आने वालों का आंकड़ा 40 से 50 लाख के आसपास है। कोरोना काल में इस आंकड़े में काफी गिरावट आ चुकी है। ऐसे में अब सरकार का फोकस इस संख्या को और ज्यादा बढ़ाने पर है, जिससे कोरोना का कहर कम होने के बाद विदेशी टूरिस्ट एक बार फिर तेजी से आ सकें। ऐसे में केंद्र सरकार लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप कर रही है और सुविधाओं पर अपना ध्यान बढ़ा रही है। जानकारी के मुताबिक, युवाओं को विदेशी भाषाएं सिखाने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने एक प्रोजेक्ट की शुरूआत की है। इसके तहत युवाओं को लिंग्विस्ट टूरिस्ट फेसिलिटेटर यानी भाषाई पर्यटक सूत्रधार बनाया जा रहा है, जिसमें उन्हें थाई, जापानी, वियतनामी और चाइनीज आदि भाषाएं सिखाई जा रही हैं। इससे भारत आने वाले विदेशियों को उनकी ही भाषा में जानकारी मिलेगी, जिससे उन्हें पर्यटन स्थल घूमने-फिरने में ज्यादा आनंद आएगा।