नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ के रिटायर्ड कर्मियों को उनके निधन पर सम्मान मिलेगा। बल के डीजी की तरफ से अंतिम विदाई के वक्त उन्हें सलामी दी जाएगी। जरुरतमंद परिवार को आठ हजार रुपये तक की सहायता राशि देने का भी प्रावधान किया गया है। ‘कॉन्फेडरेसन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन’ ने पिछले साल बीएसएफ के तत्कालीन डीजी राकेश अस्थाना से यह मांग की थी, जिसे उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया था। इसके बाद एसोसिएशन ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सीआरपीएफ व दूसरे केंद्रीय बलों में भी यह व्यवस्था शुरु करने का आग्रह किया था। पीएमओ की तरफ से अब एसोसिएशन को सूचित किया गया है कि उनकी यह मांग पूरी हो गई है। सीआरपीएफ डीजी कुलदीप सिंह ने इस मामले में दो नवंबर को विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दी हैं। एसोसिएशन ने पीएम मोदी को चार अप्रैल 2021 को लिखे अपने पत्र में कहा था कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में करीब 12 लाख अधिकारी और जवान ड्यूटी पर हैं। आठ लाख रिटायर्ड कर्मी हैं। कॉन्फेडरेसन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह के मुताबिक इस बाबत पीएम मोदी को पत्र भेजा गया था। उसमें लिखा था कि बीएसएफ की तर्ज पर दूसरे केंद्रीय सुरक्षा बलों में भी रिटायर्ड कर्मियों को मरणोपरांत सलामी व आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। इसका संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने ‘पुनर्वास एवं कल्याण बोर्ड’, गृह मंत्रालय को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने का निर्देश दिया था। सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने इस बाबत आदेश जारी कर दिए हैं। सीआरपीएफ द्वारा अब अपने रिटायर्ड कर्मियों और अधिकारियों के निधन पर उनकी सम्मान सहित अंतिम विदाई सुनिश्चित की जाएगी। बल के अधिकारी अपने डीजी की तरफ से दिवंगत कर्मी की अंतिम यात्रा में शामिल होंगे। अंतिम संस्कार से पहले बल अधिकारी द्वारा सलामी दी जाएगी। डीजी की तरफ से बतौर सम्मान भेजी गईं फूल मालाएं दिवंगत कर्मी की पार्थिव देह पर रखी जाएंगी। अंतिम संस्कार के बाद दिवंगत कर्मी के परिवार को आर्थिक मदद भी मिलेगी। आठ हजार रुपये तक की यह मदद जरुरतमंद परिवारों को ही दी जाएगी। बल के डीजी का पत्र सभी यूनिटों और मुख्यालयों को भेजा गया है। डीजी कुलदीप सिंह ने लिखा है, सीआरपीएफ अपने कर्मियों को सदैव याद रखती है। उनके दुख-तकलीफों में यह बल सदा उनके साथ खड़ा रहता है। यह बल, न केवल सेवा के दौरान, बल्कि अंतिम वक्त में भी अपने पूर्व कर्मियों के साथ रहता है। इन्होंने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की है। जिन्होंने अपना बलिदान दिया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।