भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए खतरनाक है क्रिप्टो करेंसी

मुंबई। क्रिप्टो करेंसी का बढ़ता प्रचलन खतरे का संकेत है और इस पर यदि अंकुश नहीं लगाया गया तो स्थितियां और भी विकट हो सकती हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास का यह कहना सही प्रतीत होता है कि क्रिप्टो करेंसी स्पष्ट तौर पर खतरा है। वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट जारी करते हुए उन्होंने कहा कि इससे उत्पन्न खतरे से देश के वित्तीय क्षेत्र को बचाने के लिए आरबीआई अवश्य ही उचित कदम उठाएगी।

उनका यह भी कहना है कि यह एक तरह की सट्टेबाजी है जिसका कोई आधार नहीं है। सिर्फ अनुमान के आधार पर बढ़िया नाम रखकर इसे प्रचारित किया जा रहा है। क्रिप्टो करेंसी को करेंसी नहीं माना जाना चाहिएक्योंकि इसकी निगरानी करने वाला कोई नहीं है। यह न तो वित्तीय परि सम्पत्तियां हैं और न ही ऋण प्रपत्र है।

इससे कई तरह के जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। पहले जब भी निजी तौर पर करेंसी चलाने की कोशिश की गई है तो उसके काफी खराब परिणाम सामने आए हैं। जैसे-जैसे वित्तीय प्रणाली तेजी से डिजिटल होती जा रही है वैसे- वैसे साइबर जोखिम भी बढ़ रहे हैं। इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। क्रिप्टो करेंसी पर आरबीआई गवर्नर की चिन्ता उचित है।

भारत सहित विश्व में क्रिप्टो का कोई नियामक नहीं है। छोटे निवेशकों को मोटी कमाई का लालच देकर उनकी पूंजी हड़पने का पूरा खतरा बना हुआ है। देश में छोटे निवेशकों की संख्या 80 प्रतिशत से अधिक है। इसलिए उनके हितों की रक्षा बहुत जरूरी है। भारतीय रिजर्व बैंक को इस दिशा में कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

इसके लिए एक परामर्श परिपत्र भी तैयार किया जा रहा है जिससे कि लोगों को आगाह किया जा सके। एक प्रमुख प्रश्न यह भी है कि क्रिप्टो करेंसी पर पूर्ण पाबन्दी लगाने में इतना विलम्ब क्यों हो रहा हैआरबीआई क्रिप्टो करेंसी को खतरनाक बताती है जबकि सरकार क्रिप्टो करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 प्रतिशत कर वसूलती है। इतना ही नहींएक जुलाई 2022 से क्रिप्टो करेंसी की लेन-देन पर टीडीएस का भी प्रावधान लागू हो गया है। वित्त मंत्रालय की संसदीय समिति के सामने आरबीआई इससे होने वाली क्षति को बता चुकी है। साथ ही यह भी कह दिया है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को खतरा पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में क्रिप्टो करेंसी पर पूर्व प्रतिबन्ध लगाने की जरूरत है।

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