घर-घर राशन डिलीवरी योजना से एफपीएस के अस्तित्व को नहीं है खतरा: दिल्ली सरकार

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी घर-घर राशन योजना की होम डिलीवरी नीति का बचाव करते हुए कहा कि यह एक पूरी तरह गलत धारणा है कि इसके लागू होने पर उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। सरकार ने कहा प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ डोर स्टेप डिलीवरी की प्रशंसा की जरूरत है, आलोचना की नहीं। सरकार ने कहा आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बेंगलुरु में इसके समान डोर स्टेप डिलीवरी योजनाएं हैं। न्‍यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार ने तर्क दिया कि यह एक वैकल्पिक योजना है और लाभार्थी कभी भी इससे अलग हो सकते हैं। एक भी लाभार्थी ने योजना के कार्यान्वयन के तरीके पर सवाल नहीं उठाया है। पीठ ने सरकार के तर्क पर कहा कि जोर इस बात पर है कि योजना के क्रियान्वयन के साथ एफपीएस को व्यवस्था से बाहर नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा केंद्र का कहना है कि एफपीएस राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) का एक अभिन्न अंग हैं। इसलिए आप इसे खत्म नहीं कर सकते। दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा यह एक गलत धारणा है कि राज्य सरकार इन्हें खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा पिछले दो वर्षों में कोविड के दौरान हर चीज की होम डिलीवरी हुई है। यह पूरी तरह से गलत धारणा है या गलत तरीके से निहित है कि एफपीएस का अस्तित्व खतरे में है। उन्होंने आगे कहा कि प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ डोर स्टेप डिलीवरी आदर्श बन जाती है और यह एक ऐसी चीज है जिसके लिए प्रशंसा की जरूरत है, आलोचना की नहीं। यह डोर स्टेप डिलीवरी एक वैकल्पिक योजना है और लाभार्थी कभी भी इससे अलग हो सकते हैं। यह और कुछ नहीं बल्कि किसी और द्वारा स्थापित छद्म मुकदमेबाजी है।

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