जीवन में इन आसान वास्तु नियमों का रखेंगे ध्यान, तो दूर रहेंगी सारी परेशानियां…

वास्‍तु। वास्तु शास्त्र में जीवन में सुखी और समृद्ध बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव व नियम बताए गए हैं। वास्तु शास्त्र कहता है कि सुखी और सकारात्मक जीवन जीने के लिए घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होना अति आवश्यक होता है। यदि घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगे तो जीवन में परेशानियां बढ़ने लगती हैं तो वहीं सकारात्मक ऊर्जा आपके जीवन में शांति और तरक्की प्रदान करने में सहायक होती है। वास्तु शास्त्र में घर के निर्माण से लेकर प्रत्येक सामान को रखने तक के लिए नियम बताए गए हैं। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में यदि छोटे-छोटे नियमों को ध्यान में रखते हैं तो आपके जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन सुखमय बनता है। तो चलिए जानते हैं कि कौन से आसान नियमों का पालन करके जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है।वास्तु कहता है कि हर वस्तु से ऊर्जा निकलती है, इसलिए अपने घर को हमेशा व्यवस्थित रखना चाहिए। हमेशा घर अव्यवस्थित रहने से नकारात्मकता बढ़ती है, जिससे जीवन में परेशानियां आने लगती हैं। दरवाजे व खिड़कियां खोलते समय ध्यान रखें कि उनमें आवाज नहीं होना चाहिए। यदि खिड़की, दरवाजे खोलते समक्ष आवाज करते हैं तो तुरंत उनमें तेल डालना चाहिए। प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर घर के सारे खिड़की दरवाजे खोल देना चाहिए, ताकि स्वच्छ हवा और सूर्य की रोशनी घर में प्रवेश कर सके। इससे घर में सकारात्मकता बढ़ती है। कभी भी दरवाजे की ओर या दक्षिण दिशा में पैर करके नहीं सोना चाहिए। इस दिशा में पैर करके सोने से, घबराहट, बेचैनी और नींद में बाधा की समस्या उत्पन्न होती है। घर में हरे-भरे पौधे लगाने चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है लेकिन कांटेदार, दूध निकलने वाले या बोनसाई के पौधे नहीं लगाने चाहिए। ये नकारात्मकता को बढ़ाते हैं इससे आपके जीवन में परेशानियां बढ़ने लगती हैं। घर के पूर्व स्थान को खाली और हल्का रखना चाहिए और दक्षिण भाग में भारी सामान रखना चाहिए। घर में फालतू कबाड़ इकट्ठा नहीं करना चाहिए। फटे-पुराने कपड़े, जूते, खराब पड़ी घड़ी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, और बंद तालों को तो खासतौर पर घर में न रखें। घर में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए नियमित रूप से घर में धूप-दीप से पूजन करना चाहिए और प्रतिदिन कपूर दिखाना चाहिए। इससे आपके घर में सुख और शांति का वातावरण बना रहता है।

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