नई दिल्ली। आईआईएफएल सिक्योरिटीज के सीईओ (रिटेल ब्रोकिंग) संदीप भारद्वाज ने बताया कि कभी एफडी पर 10 प्रतिशत तक ब्याज मिलता था, लेकिन अब यह 5 प्रतिशत के दायरे में आ गया है। महामारी में कर्ज की ब्याज दरें नीचे आने से एफडी में कटौती हुई और म्यूचुअल फंड सबसे पसंदीदा निवेश विकल्प बनकर उभरा। खुदरा महंगाई दर अभी 5.50 प्रतिशत के आसपास घूम रही, जबकि एफडी पर इससे भी कम ब्याज मिल रहा। ऐसे में निवेशक यहां निगेटिव रिटर्न उठा रहे और उन्हें नुकसान भी हो रहा। म्यूचुअल फंड इसकी तुलना में कहीं ज्यादा रिटर्न दिलाते हैं। अगर पांच साल की एफडी पर 6 प्रतिशत तक ब्याज मिल रहा, तो म्यूचुअल फंड इसी अवधि में 12 प्रतिशत तक रिटर्न दे सकता है। एफडी को पसंद करने के पीछे सबसे बड़ा कारण इसका सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न होता है। म्यूचुअल फंड के डेट फंड भी सुरक्षा और तय रिटर्न की गारंटी देते हैं। दरअसल, ये फंड अपनी राशि सरकारी बॉन्ड, कॉरपोरेट डेट, सरकारी प्रतिभूतियों में लगाते हैं, जहां से सालाना तय रिटर्न मिलता है। अब तो म्युचुअल फंड हाइब्रिड फंड का विकल्प भी दे रहे, जो डेट और इक्विटी में पैसे लगातार सुरक्षा के साथ ज्यादा रिटर्न भी दिलाते हैं। अभी ब्याज दरें नीचे होने से बॉन्ड की कीमतों में तेजी आ रही है। म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने वाले निवेशक अपनी जरूरत के हिसाब से जब चाहें पैसे निकाल सकते हैं। एफडी में जहां हर अवधि के लिए परिपक्वता सीमा तय होती है, वहीं म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों को इससे आजादी दिलाता है। जरूरत पर डेट फंड का रिडम्पशन रिक्वैस्ट देने से एक दो दिन में पैसा खाते में आ जाता है। लिक्विड फंड से तो कुछ घंटों के भीतर ही 50 हजार तक की राशि खाते में पा सकते हैं। हालांकि, इस पर कुछ राशि एग्जिट लोड के रूप में देनी पड़ेगी। वहीं, एफडी को परिपक्वता अवधि से पहले तोड़ने पर जुर्माना भरना पड़ेगा।