नई दिल्ली। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिक डॉ. शशांक सुंद्रियाल को जर्मनी के ग्रीन टैलेंट आउटस्टैंडिंग यंग टैलेंट अवार्ड के लिए चुना गया है। खास बात यह है कि पूरे विश्व में इस अवॉर्ड के लिए चुने गए 25 वैज्ञानिकों में से वह इकलौते भारतीय हैं। जर्मनी के शिक्षा मंत्रालय ने उन्हें यह अवॉर्ड कचरे से कार्बन निकालकर तैयार किए गए सुपरकेपेसीटर के निर्माण के लिए दिया है, जिसका इस्तेमाल भविष्य में चार्जिंग के लिए किया जाएगा। मूलरूप से उतराखंड के देहरादून निवासी डॉ. शशांक सीएसआईआर स्थित नेशनल फिजिकल लैब्रोटरी में नेहरू पोस्ट डॉक्टरल फेलो हैं। वह पिछले एक वर्ष से इस परियोजना पर काम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आसपास कचरे को देखकर उन्हें पर्यावरण के बचाव के साथ कुछ बेहतर करने का विचार आया था। इस विचार को हकीकत में बदलने के लिए उन्हें कार्य के दौरान किए जाने वाले अनुसंधान से काफी सहायता मिली। अपने अनुभव व ज्ञान को आधार बना डॉ. शशांक ने तकनीक के माध्यम से कचरे से कार्बन को अलग कर उसको जमा किया। इसके बाद सुपरकैपेसिटर का निर्माण करने के लिए अपने शोध को जारी रखा। शशांक के मुताबिक सुपरकेपेसीटर के निर्माण के लिए उन्हें पूरा एक वर्ष का समय लगा। इसके बाद उन्होंने ऐसा उपकरण तैयार कर दिया जिसकी क्षमता अन्य बैटरी के मुकाबले कई गुना अधिक थी। जर्मनी के शिक्षा मंत्रालय ने सस्ता, स्वच्छ एवं टिकाऊ, शहर और विकास के मानकों को पूरा करने पर उन्हें इस अवॉर्ड के लिए चुना है।