नई दिल्ली। औद्योगिक उत्पादन की विकास दर भी गत दिसंबर में 1.4 प्रतिशत के साथ पिछले नौ माह के निचले स्तर पर आ गई। आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सरकार का फिर से इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर होगा और इसके लिए पूंजीगत खर्च के मद में चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 15-25 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में पूंजीगत खर्च के मद में 5.54 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जो वित्त वर्ष 2020-21 में पूंजीगत खर्च के 4.39 लाख करोड़ के संशोधित अनुमान से 26 प्रतिशत अधिक था। जानकारों के अनुसार कोरोना की वजह से रोजगार और मांग दोनों के प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है।
मांग और रोजगार दोनों में बढ़ोतरी के लिए सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अधिक खर्च करना होगा ताकि लोगों को रोजगार मिले और खपत में भी बढ़ोतरी हो, ताकि पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी नहीं होने पाए। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने से देश में संपदा और सुविधाओं का सृजन होता है, जो निवेश को आकर्षित करने के लिए सबसे जरूरी चीज है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, बजट में सरकार का सबसे अधिक फोकस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ही रहने वाला है और इस काम के लिए बजट में पूंजीगत खर्च के मद में चालू वित्त वर्ष की तुलना में 15 से 25 प्रतिशत अधिक का आवंटन हो सकता है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े 101 लाख करोड़ रुपये के गतिशक्ति कार्यक्रम का ऐलान किया गया और इसके लिए भी पूंजीगत खर्च की जरूरत होगी। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, बजट में सबसे अधिक सड़क निर्माण के मद में आवंटन हो सकता है। बजट में रेल, सड़क, बिजली जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा सरकार नए प्रकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए भी अलग से फंड का आवंटन कर सकती है। इनमें मुख्य रूप से डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्यावरण अनुकूल मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक जैसे क्षेत्र शामिल हैं।