हिमाचल में भूवैज्ञानिक सर्वे के आधार पर बनेंगी नई सड़कें

हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश में अब भूवैज्ञानिक सर्वे के आधार पर नई सड़कों का निर्माण होगा। प्रदेश में आपदा, भूस्खलन के चलते सड़कों को हो रहे नुकसान और जनता की परेशानियों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। सरकार ने इसका प्लान तैयार कर लिया है। हिमाचल पहाड़ी इलाका है। सड़कें पहाड़ों से होकर गुजरती हैं। भौगोलिक स्थिति को देखते हुए कोई सड़क बनाने से पहले जियोलॉजिकल रिपोर्ट देखी जाएगी। सर्वे रिपोर्ट में अगर पहाड़ी खिसकने वाली होगी तो डीपीआर नहीं बनेगी। ऐसे में सड़कों का रूट बदला जाएगा। प्रदेश में अभी लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों की रिपोर्ट के आधार पर सड़कों का निर्माण किया जाता है। हिमाचल में ज्यादातर गांवों की सड़कों का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत होता है। सड़कों और अन्य योजनाओं को लेकर सरकार की ओर से हर साल विधायक प्राथमिकताएं मांगी जाती हैं। इसमें सड़क अनिवार्य रहती है। विधायक की प्राथमिकता के बात लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर मौके का मुआयना करते हैं। अगर मौके पर किसी व्यक्ति की जमीन आती है, तो उन्हें उक्त जमीन उन्हें विभाग के नाम करना होता है। वन विभाग की जमीन आने पर फॉरेस्ट क्लीयरेंस लेनी होती है। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद सड़क का निर्माण होता है, लेकिन अब सड़कों के निर्माण के लिए जियोलॉजिकल सर्वे जरूरी होगा। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि हिमाचल में तकरीबन हर साल बरसात के दौरान बादल फटना, आपदा और भूस्खलन होने से सड़कें ढह जाती है। इसमें विभाग को करोड़ों का नुकसान होता है। संपर्क मार्ग कई महीनों तक बंद रहते हैं। इससे परेशानी झेलनी पड़ती है। हिमाचल में जियोलॉजिकल सर्वे के आधार पर सड़कों का निर्माण किया जाना है। आपदा के चलते सड़कों को नुकसान होता है। जियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट देखकर ही लोक निर्माण विभाग सड़कें बनाएगा।

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