यात्रा। भारत में कई धर्म के लोग रहते है। भारत देश अध्यात्म और धर्म का देश है। यहां पर हर धर्म से जुड़े मंदिर या पूजा घर मिल जाएंगे। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर राज्य में कई प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं। इन मंदिरों से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। दूर-दराज से आकर लोग मंदिरों के दर्शन करते हैं। यहां 52 शक्तिपीठ, 12 ज्योतिर्लिंगों के अलावा भगवान विष्णु और उनके अवतारों के कई मंदिर हैं। अक्सर देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों का जिक्र होने पर जम्मू में स्थित माता वैष्णो देवी, हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा देवी मंदिर, उत्तर प्रदेश में मथुरा के मंदिर, गुजरात में द्वारिकाधीश मंदिर, उड़ीसा में जगन्नाथ पुरी मंदिर और दक्षिण में कन्याकुमारी और रामेश्वरम का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि झारखंड में कभी कई प्रसिद्ध मंदिर हैं।
झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता और जल प्रपात देखने योग्य हैं, यहां दसम वॉटर फॉल से लेकर हुंडरू वॉटरफॉल तक कई खूबसूरत झरने पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हालांकि झारखंड का धार्मिक महत्व भी कम नहीं है। झारखंड कई ऐसे प्राचीन मंदिर है जो काफी प्रसिद्ध है। अगर आप झारखंड जाने की प्लान कर रहें है तो इन मंदिरों के दर्शन के लिए अवश्य जाएं। तो चलिए इन प्रसिद्ध मंदिरो के बारे में जानते है।
बैद्यनाथ मंदिर, देवघर
झारखंड का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल देवघर में है। देवघर को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। यहां बैद्यनाथ धाम मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण गिद्धौर राजवंश के दसवें राजा पुरनमल ने कराया था। इस मंदिर को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
पहाड़ी मंदिर, रांची
रांची रेलवे स्टेशन से करीब सात किमी दूरी पर एक पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है। सावन के महीने में इस मंदिर का काफी भीड़ रहती है। मंदिर का निर्माण पालकोट के राजा ने कराया था।
भद्रकाली मंदिर, चौपारण
चौपारण में मां शक्ति के भद्रकाली रूप की पूजा होती है। यहां माता एक प्राचीन मंदिर है, जिसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में बौद्ध और जैन धर्म के अवशेष मिलते हैं। इसलिए यहां कई धर्मों के लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
जगन्नाथपुर मंदिर, रांची
रांची में जगन्नाथपुर मंदिर स्थित है, जिसका निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर एक किले की तरह बना है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के साथ विराजमान हैं।