पाकिस्तान। पाकिस्तान की आर्थिक हालात लंबे समय से बहुत खराब हैं। बीते वर्ष आई बाढ़ ने और भी चिंताजनक स्थिति बना दिया है। पाकिस्तान इन झटकों से उबरा नहीं था कि अब महंगाई की मार भी पाकिस्तान की जनता को झेलनी पड़ रही है। बता दें कि पाकिस्तान में खाद्य पदार्थों के दाम बीते एक वर्ष में 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं। रोजमर्रा के जरूरत का सामान जैसे प्याज का भाव बीते वर्ष 6 जनवरी 2022 को जहां पाकिस्तान में 36.7 पाकिस्तानी रुपए प्रति किलो था, उसी प्याज के भाव 5 जनवरी 2023 को बढ़कर 220 पाकिस्तानी रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।
पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमतों में बीते वर्ष के मुकाबले जनवरी में 48 फीसदी और डीजल की कीमतों में 61 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। यकीनन इसका असर खाने-पीने के सामान की कीमतों पर पड़ना था और वो हुआ भी। जानकारी के मुताबिक , चिकन के दामों में बीते वर्ष के मुकाबले 82 फीसदी, दालों के दाम में 51 फीसदी, बासमती चावलों के दाम में 46 फीसदी, सरसों के तेल के दाम में 42 फीसदी, दूध के दामों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है।
पाकिस्तान में हुई आटे की कमी:-
पाकिस्तान में दिसंबर 2021 में महंगाई दर 12.3 फीसदी थी जो दिसंबर 2022 तक बढ़कर 24.5 फीसदी तक पहुंच गई है। वहीं खाद्य पदार्थों पर महंगाई की मार सबसे ज्यादा पड़ी है। दिसंबर 2021 में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 11.7 फीसदी थी, जो दिसंबर 2022 में बढ़कर 32.7 फीसदी हो चुकी है। पाकिस्तान गेहूं की भारी कमी से भी जूझ रहा है। कई जगह आटा मिल नहीं रहा है और जहां मिल रहा है, वहां इसके दाम आसमान छू रहे हैं। पाकिस्तान के कराची जैसे शहरों में आटे के भाव 140-160 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट :-
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी से कम हो रहा है। दिसंबर 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान के पास अब सिर्फ 11.4 बिलियन डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा हुआ है। बीते दिनों श्रीलंका में भी ऐसे ही हालात देखने को मिले थे। स्थिति को देखते हुए लग रहा है कि पाकिस्तान भी श्रीलंका की राह पर आगे बढ़ रहा है। वहीं बाढ़ ने पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लोगों को विस्थापित किया है और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में लोगों को फिर से बसाने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी पाकिस्तान को बड़ी रकम की आवश्यकता है। हालांकि हाल ही में जिनेवा में आयोजित हुई एक कॉन्फ्रेंस में संयुक्त राष्ट्र की सहायता से पाकिस्तान को बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए अरबों डॉलर की आर्थिक मदद मिली है। ये सहायता भी पाकिस्तान के हालात को देखते हुए नाकाफी साबित हो सकती है।