जम्मू। एलजी मनोज सिन्हा ने जगती कालोनी और विस्थापित शिविर बूटा नगर में तीन दिवसीय महाशिवरात्रि महोत्सव में शिरकत की। इस दौरान एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि महाशिवरात्रि और हेरथ कश्मीरी पंडितों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। इस उत्सव को भगवान शिव का जश्न मनाने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए वालिव सामव-लेट्स कम टुगेदर, का नाम दिया गया है। महोत्सव में हस्तशिल्प, हथकरघा, केवीआईबी, एनआरएलएम द्वारा लगाए गए स्टालों का एलजी मनोज सिन्हा ने निरीक्षण किया।
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के सभी मुद्दों के उचित समाधान के लिए अत्यंत संवेदनशीलता के साथ काम किया जा रहा है। विशेष शासन शिविर कश्मीरी पंडित समुदाय के कल्याण के लिए हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उनकी सामाजिक सुरक्षा योजना, स्वरोजगार और कौशल विकास कार्यक्रमों की शत प्रतिशत पूर्ति को सुनिश्चित बनाया जा रहा है। शिविरों और गैर शिविर क्षेत्रों में कश्मीरी पंडित समुदाय की सुविधा के लिए राहत संगठन ने 20 लाइन विभागों को एक साथ लाया है।
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि गत हुए विशेष शासन शिविर के दौरान विभिन्न योजनाओं के लिए पहचाने गए लाभार्थियों को सहायता व अधिकार पत्र सौंपे गए। यह त्योहार कश्मीरी संस्कृति और देश की आध्यात्मिक सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है। यह हमारे प्राचीन मूल्यों और लोकाचार का प्रतीक है। देश दुनिया में बसे कश्मीरी पंडित भाइयों और बहनों ने इस परंपरा को जीवित रखा है। मैं भगवान शिव से सभी की सुख, समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं।
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि महाशिवरात्रि त्योहार को ध्यान में रखते हुए सभी पीएम पैकेज और कश्मीर में अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को पूरा वेतन जारी किया गया है।
समुदाय के सदस्य विशेष शिविरों का लाभ उठाएं। प्रशासन सभी वास्तविक मुद्दों को हल करने के लिए हमेशा तैयार है। सरकार हमेशा पंडित समुदाय के साथ खड़ी रही है। इस समुदाय ने तीन दशकों तक बहुत कुछ सहा है। मैं प्रार्थना करता हूं कि समुदाय के लोग पूरे सम्मान के साथ अपने घरों को लौटें। मुझे पूरी उम्मीद है कि आपकी वापसी के साथ कश्मीर को अपना खोया हुआ गौरव मिलेगा।
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि कश्मीर में पीएम पैकेज के कर्मचारियों के लिए आवास इकाइयों के निर्माण को प्रगति दी गई है। 6000 आवासों के निर्माण के लिए जमीन चिन्हित की गई है और दो स्थलों को छोड़कर काम जोरों पर है। अप्रैल तक 1200 आवास सौंपे जाएंगे और दिसंबर तक 2500 से अधिक आवास दिए जाएंगे।