Jammu: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा शुक्रवार को एक बेहद खास और ऐतिहासिक मिशन पर रूस पहुंच गए हैं. वह यहां भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को वापस भारत लाने वाले उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. रूस के अलिस्टा, कलमाकिया पहुंचने पर भारतीय और रूसी अधिकारियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया.
एलजी मनोज सिन्हा ने एक्स पर दी जानकारी
सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट सांझा करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि वह रूस के अलिस्टा, कलमाकिया पहुंच गए हैं. यहां पर उन्हें भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे. उपराज्यपाल ने आगे कहा कि उनकी बाटू सरगेविच खसिकोव प्रमुख रिपब्लिक कलमाकिया के साथ बातचीत करेंगे. इसके साथ वह कलमाकिया के बौद्ध प्रमुख शाजिन लामा, प्रमुख लामा और स्थानीय श्रद्धालुओं से भी बातचीत करेंगे. बौद्ध अवशेषों के जरिए सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की केंद्र की इस पहल के तहत कलमीकिया की राजधानी एलिस्टा में 11 अक्तूबर से प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है. प्रदर्शनी 18 अक्तूबर तक चलेगी.
यह प्रदर्शनी भारत और रूस के संबंधों का प्रतीक
रूसी गणराज्य में आयोजित आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रदर्शनी में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को औपचारिक रूप से कलमीकिया में प्रतिष्ठित किया गया. प्रदर्शनी का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और रूस के कलमीकिया गणराज्य के प्रमुख बटू खासिकोव ने किया था. संस्कृति मंत्रालय के बीटीआई अनुभाग की ओर से अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी), राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सहयोग से आयोजित यह प्रदर्शनी भारत और रूस विशेष रूप से कलमीकिया के बौद्ध समुदाय के बीच गहरे आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है.
बौद्ध विरासत से जुड़ी तीन प्रदर्शनियां
- शाक्यों की पवित्र विरासत: आईबीसी की ओर से लगाई गई यह प्रदर्शनी कपिलवस्तु से लेकर आधुनिक समय में बुद्ध के पवित्र अवशेषों की खोज और प्राचीन यात्रा का गहन वर्णन प्रस्तुत करती है.
- वैश्विक डाक टिकट प्रदर्शनी : कर्नाटक में धारवाड़ के विनोद कुमार की ओर से लगाई गई इस प्रदर्शनी में बौद्ध विरासत की विश्वव्यापी पहुंच और प्रभाव को दर्शाने वाले 90 देशों के बौद्ध डाक टिकट प्रदर्शित किए गए हैं.
- बोधिचित्त – बौद्ध कला की निधि : राष्ट्रीय संग्रहालय और राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की यह प्रदर्शनी समृद्ध बौद्ध कला और पांडुलिपि परंपराओं के साथ गहन जुड़ाव के बारे में बताती है.
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