पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान राम का पावन चरित्र और उनका उपदेश जीवन के लिये परम उपयोगी है। परमात्मा ही हमारी आत्मा है। परमात्मा ही हमारे अपने सगे हैं। संसार के जितने नाते हैं वो क्षणिक हैं। कुछ समय तक अपने रहते हैं, उसके बाद संबंध टूट जाते हैं लेकिन परमात्मा से जीव का नाता कभी नहीं टूटता, क्योंकि परमात्मा के बिना पदार्थ की सत्ता नहीं है। हमारी भी सत्ता नहीं है, यदि ईश्वर हमारे साथ न हो। जैसे जल न हो तो तरंग बन ही नहीं सकती। तरंग दौड़ नहीं सकती। तरंग का बनना और तरंग का दौड़ना ये सब जल के ऊपर ही आधारित है। जल से ही लहर बनती है। तरंग बनती है और जल पर ही वो दौड़ती है। और अंत में जल में ही लीन हो जाती है। इसी तरह जीव ईश्वर से बनता है। ईश्वर की शक्ति से ही चलत, फिरता काम करता है और अंत में ईश्वर में ही वह समा जाता है। जैसे एक तरंग का दूसरे तरंग से मिलन क्षणिक होता है। मान लिया जाये कि एक तरंग इस तरफ से आ रही है और दूसरी उस तरफ से आई, दोनों मिलती हैं एक क्षण के लिये फिर बिछड़ जाती हैं। लेकिन जल का तरंग से, तरंग का जल से कभी भी वियोग नहीं होता। इसी तरह जीव का जीव से मिलन क्षणिक है।,लेकिन ।ईश्वर का मिलन नित्य, सिद्ध होता है। जीव का कभी भी वियोग ईश्वर से नहीं हुआ, कमी ये है कि जीव ईश्वर के संयोग का अनुभव नहीं करता। ईश्वर का संयोग तो है लेकिन अनुभव नहीं करता कि ईश्वर मेरे साथ हैं,और ईश्वर की शक्ति से ही मैं कार्य कर रहा हूं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)